हम अध्यापक हैं, और हमारे विद्यार्थी बार-बार कहने पर भी मानते नहीं, तो हमें गुस्सा आता है। क्या यह सही है?

विद्यार्थी नहीं मानते, तो न मानें। विद्यार्थी नहीं सुधरते तो न सुधरें। लेकिन क्रोध कर हम नहीं बिगड़ेंगे। हम बिगड़ने के लिये नहीं आये। हम सुधरने के लिये आये हैं। विद्यार्थी भी सुधरने के लिये आयें। वो सुधरते हैं, तो बहुत अच्छी बात है। और नहीं सुधरते, तो उनसे कह दो अपने घर जाओ, दूसरी संस्था में जाओ, कहीं भी जाओ। हमें मत बिगाड़ो, हम नहीं बिगड़ेंगे। इसलिये हमें क्रोध नहीं करना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *