इसका उत्तर यह है कि कोई हमारे ऊपर छोटा-मोटा आरोप लगाए तो हमें उसको सहन कर लेना चाहिए। कोई माता-पिता का अपमान करे तो उसको रोकना चाहिए। उसको सहन नहीं करना चाहिए। उसको सावधान करना चाहिए किः- ”तुम ऐसा गलत काम मत करो, अपनी सीमा में रहो।” हमें इतने कायर, कमजोर भी नहीं बनना चाहिए कि कोई अगर एक थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल आगे कर दो कि, हाँ भई, ले मार। ऐसा नहीं चलता है। स्वाभिमान से जीना चाहिए।
स हमारा उद्देश्य किसी से झगड़ना नहीं है। हम किसी को परेशान नहीं करना चाहते, पर कम से कम कोई हमें भी तो परेशान न करे। आप सम्मान से जियो, हमको भी जीने दो।
स हम आपको तंग नहीं करते तो आप हमको क्यों तंग करते हो? आप अपने ढंग से जीयो, हम अपने ढंग से जीएंगे। आप हमारे माता-पिता का अपमान करेंगे, यह नहीं चलेगा। आपको हम टोकेंगे, सावधान कर देंगे।