हमारा ज्ञान सत्य है, या नहीं। यह जानने के लिये अपने ज्ञान की तुलना किसके ज्ञान के साथ करनी चाहिये?

हम कोई बात समझ रहे हैं। वो ठीक समझ रहे हैं, या गलत समझ रहे हैं, इसका निर्णय करने के लिये अपने ज्ञान की तुलना वेद के साथ करनी चाहिये। अथवा अन्य प्रमाणों के साथ करनी चाहिये। प्रत्यक्ष प्रमाण, अनुमान प्रमाण आदि-आदि प्रमाणों से तुलना करनी चाहिये, कि मैं तो यह समझ रहा हूँ, और इस बारे में शब्द प्रमाण क्या कह रहा है, वेद क्या कह रहा है, )षि लोग क्या कह रहे है। यदि वे भी वही कुछ कह रहे हैं, जो मैं समझ रहा हूँ, तो मेरा ज्ञान ठीक है। और वेद कुछ और कह रहा है, और मैं कुछ और समझ रहा हूँ, तो इसका मतलब गड़बड़ है। गड़बड़ कहाँ है, मुझमें या वेद में? मुझमें गड़बड़ है, वेद झूठा नहीं है। हमारे समझने में भूल हो सकती है, ईश्वर के कहने में भूल नहीं है। इस प्रकार अपने ज्ञान का निर्णय करने के लिये वेद से तुलना करो, )षियों के ग्रन्थों से तुलना करो तो पता चल जायेगा कि हम ठीक ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं अथवा हम गड़बड़ (भ्रान्ति( में है।

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