सर्व’ यानि सभी में, ‘अर्न्तयामी’ अर्थात् अन्दर रहकर नियंत्रण करने वाला। जो सबके अन्दर रहता है, मन की सारी बातें जानता है और नियंत्रण करता है, यह सभी बातें सर्वार्न्तयामी से जुड़ी हुई हैं। ‘ईश्वर’ सर्वार्न्तयामी है। जब व्यक्ति बुरी योजना बनाता है, तो ईश्वर अन्दर से भय, लज्जा व शंका उत्पन्न करता है और वह बुरा काम करने से रोकता है। यही ईश्वर का नियंत्रण है। इसके विपरीत, जब व्यक्ति अच्छी योजना बनाता है, तो ईश्वर आनंद व उत्साह देता है, प्रोत्साहित करता है। सर्वार्न्तयामी ईश्वर हाथ पकड़कर किसी काम से नहीं रोकता, बल्कि मानसिक रूप से ही बुरा काम करने की मनाही करता है और सही काम के लिए प्रेरित करता है। यही उसका ‘सर्वान्तर्यामी’ रूप है।