समाधि लगने पर अर्न्तज्ञान प्राप्त होता है। )षि-काल में )षि लोग अर्न्तज्ञान से कैसा जानते थे?

लोगों को आंतरिक ज्ञान होता था। उदाहरण कोई भी सौ प्रतिशत साध्य के समान नहीं होता, यह नियम है। उदाहरण मोटे स्तर का होता है, और किसी अंश को समझाने के लिए होता है। आंतरिक ज्ञान कैसा होता है, इसे एक उदाहरण से ऐसे समझें? मान लीजिए, आप बिस्तर पर लेट गए। आंख बंद हो गई और गहरी नींद तो आई ही नहीं। नींद में शुरू हो गया स्वप्न। तो जब आप स्वप्न देखते हैं, तब आंखें तो बंद रहती हैं, फिर भी आपको अंदर से ज्ञान होता है। स्वप्न में चित्र दिखते हैं- एक महल है। उसमें बहुत से नौकर-चाकर हैं, बहुत सुुंदर सजा हुआ है। बाहर चौकीदार खड़े हैं, अंदर राजा है। वो आराम से राजमहल में बैठा है। सभा लगी हुई है, बहुत सारे लोग उसकी सेवा कर रहे है। अब देखिए, स्वप्न में अन्दर से ज्ञान हो रहा है या नहीं? जैसे स्वप्न में अंदर से ज्ञान होता है, ऐसे ही )षियों को समाधि में अंदर से ज्ञान होता है। समाधि में जो ज्ञान प्राप्त होता है, वो ईश्वर की ओर से होता है। और स्वप्न में तो हमारे अपने संस्कार होते हैं, जिनको हम स्मृति के रूप में,चित्र के रूप में देखते हैं। इस तरह से )षियों को आंतरिक ज्ञान होता है।

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