सत्यार्थ प्रकाश’ में बिल्कुल ठीक लिखा है कि ग्रह-नक्षत्रों का प्रभाव नहीं होता, इसलिए बालक की जन्मपत्री नहीं बनवानी चाहिए। उसका नाम शोक-पत्र है। आपकी जन्मपत्री में ऐसा कुछ नहीं लिखा कि कल आपका भविष्य कैसा होगा।
और रही बात कि ‘संस्कार विधि’ में तिथि और नक्षत्र के देवता आदि के लिए आहुति देना लिखा है। उसका अर्थ यह नहीं है कि उन तिथि के देवता, नक्षत्र और नक्षत्र के देवता को यदि हम आहुति देंगे, तो ये देवता प्रसन्ना हो जाएंगे और हमारा भविष्य अच्छा बना देंगे। इतिहास की रक्षा के लिए, यह विधान किया गया है, कि उस दिन क्या तिथि थी, उस दिन नक्षत्र कौन सा था। पृथ्वी और ग्रहों की स्थिति क्या थी? इतिहास के स्मरण के लिए यह काम करना चाहिए।
पहले लोग तिथि और नक्षत्र आदि के हिसाब से इतिहास लिखते थे। आज तो अंग्रेजी तारीख में लिखते हैं, जैसे – 26 जनवरी 1902, 25 फरवरी 1925, इससे तारीख पता चलती है, कि इस व्यक्ति का जन्म कब हुआ था, कितने साल पहले हुआ था, आज क्या उम्र है। वह केवल इतिहास की रक्षा के लिए है। उससे हमारा भविष्य सुधरता हो, ऐसी कोई बात नहीं।
अब रही बात कि गृहस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन यज्ञ करना चाहिए। तो वो बिल्कुल ठीक लिखा है। फिर लिखा है, आपत्तिकाल में यदि वो न कर सके। मान लो गरीब आदमी है, हर रोज हवन करने के लिए साधन नहीं है, तो कोई बात नहीं। ऐसा व्यक्ति पूर्णिमा और अमावस्या यानी पन्द्रह दिन में एक बार तो कम से कम अवश्य करे। उसके लिए यह विकल्प दिया है। कुछ न करने से, कुछ करना अच्छा है। किस दिन करें, तो एक दिन बता दिया। आजकल तो लोग संडे की छुट्टी मनाते हैं। पुराने समय में यह संडे की छुट्टी नहीं होती थी। पूर्णिमा की, अमावस्या की, और अष्टमी की, ऐसे महीने की चार छुट्टियाँ होती थीं। एक पूर्णिमा, एक अमावस्या और शुक्ल पक्ष में एक अष्टमी, कृष्ण पक्ष में एक अष्टमी आएगी। तो स्वामी दयानन्द जी ने यूँ कह दिया, कि पूर्णिमा और अमावस्या में हवन कर लो, क्योंकि उस दिन छुट्टी होती है।
समुद्र में ज्वार-भाटा तो रोज चढ़ता-घटता है। वो तो रोज चलता है। लेकिन अमावस्या और पूर्णिमा को चन्द्रमा का कुछ विशेष आकर्षण होता है। इसलिए उस दिन ज्वार-भाटा कुछ तेज आता है। तो उसी हिसाब से हमारे जीवन पर ज्वार-भाटे का असर होता है, वो तो ठीक है। वो तो प्राकृतिक घटना है। उसमें कोई आपत्ति नहीं।
ज्वार-भाटे का ऐसा कोई सूक्ष्म प्रभाव नहीं है कि, वह पूर्णिमा को किसी व्यक्ति का व्यापार बहुत अच्छा बना दे, दूसरे का व्यापार बिगाड़ दे। जैसा ये हस्तरेखा, भविष्य-फल वाले लोग बताते हैं। वो सब गड़बड़ है।