पं० रामरत्न अजमेर से संन्यासाश्रम के विषय में प्रश्नोत्तर)
सन् १८६६ में जब स्वामी जी अजमेर में थे और मूर्तिपूजा तथा भागवतादि
का खण्डन कर रहे थे तो उन दिनों रामरत्न नामक एक पण्डित ने जो ग्राम
रामसर जिला अजमेर में रहता था और ग्राम का पटवारी भी था, सम्भवतः
दस प्रश्न बनाकर भेजे थे जो इस विषय के थे
संन्यासी को किसी ग्राम में तीन दिन से अधिक न रहना चाहिए ।
घोड़ों की बग्घी में न चढ़ना चाहिए आदि ।
ये प्रश्न संस्कृत में थे । स्वामी जी ने प्रत्येक प्रश्न का उत्तर विश्वसनीय
पुस्तकों के प्रमाणों सहित लिख भेजा और उसके लेख में जो अशुद्धियां थीं,
वे भी साथ ही लिखकर भेज दीं । इन प्रश्नों का एक उत्तर यह था कि निस्सन्देह
संन्यासी को एक स्थान पर तीन दिन से अधिक न रहना चाहिए परन्तु
जहां अन्धकार हो रहा हो तो वहां उपदेश के लिये अधिक रहना उचित
है । (लेखराम पृष्ठ ६६)