जब यु( के नियमों का उल्लंघन किया जाये अथवा जो विधि-विधान है, कानून है, जो हमारा कर्तव्य है, हम उसको भंग करते हैं, तो उसका नाम गद्दारी है, उसका नाम देशद्रोह है। यु( में तो रणनीति में कई तरह के नियम होते हैं। उसमें सामने से भी हमला होता है, छुपकर के भी होता है। दुष्ट के साथ तो छुपकर के ही व्यवहार किया जाता है, यह तो यु( का नियम है। श्रीराम जी ने यु( के नियम का पालन किया, उल्लंघन नहीं किया। इसलिये उनको गद्दार नहीं कह सकते। जब श्रीराम जी ने तीर मार दिया, और फिर श्रीराम जी सामने आ गये, तो बाली ने पूछा कि- भई! श्रीराम जी आपने मुझको छुपकर के मारा, यह तो आपने ठीक नहीं किया। यह तो नियम का उल्लंघन किया। आपने मुझे किस अधिकार से मारा? आपको लड़ना था तो मेरे सामने आकर लड़ते, तो पता चलता कि कितने क्षत्रिय हो। छुपकर के मारा, यह तो आपने नियम तोड़ दिया। उस समय श्रीरामचंद्र जी ने क्या उत्तर दिया। श्रीराम ने कहा, कि हम जिस परिवार से आये हैं, जिस वंश के हैं, उस वंश का इस धरती पर चक्रवर्ती शासन है। इस समय महाराजा भरत चक्रवर्ती राजा हैं। तुम महाराजा भरत के अंतर्गत उनके अधीन हो। महाराजा भरत के अंतर्गत रहते हुए तुमने अपने भाई पर अन्याय किया है, अत्याचार किया है। पहले गलती तुमने की है। और हम महाराजा भरत की ओर से तुमको दंड देने आये हैं। हमने दंड देकर के न्याय किया है। हमने कोई छल-कपट नहीं किया, कोई धोखा नहीं दिया। यह श्रीराम ने ऐसा न्यायपूर्ण उत्तर दिया। इसलिये उन्हें गद्दार कहना गलत है।