व्यक्ति के साथ कब तक संयमित व्यवहार करें? वह भी घर का ही सदस्य हो तो?

जब तक आपकी सहनशक्ति हो, तब तक निभाओ और अपनी सहन शक्ति को बढ़ाओ। आजकल लोगों में सहनशक्ति बहुत घट गई है। तीस-चालीस साल पहले लोगों में जितनी सहन शक्ति थी, क्या आज उतनी है? नहीं है। आज सहनशक्ति घट गई है। गड़बड़ हमारी तरफ से है। अपनी सहनशक्ति को बढ़ाइए।
स आप भौतिक साधनों का जितना अधिक प्रयोग करेंगे, आपकी सहनशक्ति उतनी अधिक घटती जाएगी। जितना हमारा जीवन विलासितापूर्ण होता जाएगा, उतनी सहनशक्ति कम होती जाएगी।
पिछले तीस-चालीस साल में भौतिक साधन बहुत बढ़ गए हैं। सड़कें बहुत बढ़ गईं, मोटर-गाड़ियाँ बढ़ गई, टेलीफोन बढ़ गए, बिजली बढ़ गई और मशीनें बढ़ गई यानि सारे भोग के साधन बढ़ गए और लोग इन भोग-साधनों के आदी हो गये। इसलिए सहनशक्ति घट गई।
स जीवन चलाने के लिए, देश की सेवा करने के लिए इन भोतिक चीजों का उपयोग करें तो कोई आपत्ति नहीं। सुख लेने के लिए आप इन वस्तुओं का उपयोग नहीं करना। अगर सुख के लिए इन चीजों का प्रयोग करेंगे तो आपकी सहनशक्ति घट जाएगी। लगातार इन चीजों का प्रयोग न करें। कभी प्रयोग करें, कभी नहीं करें। जानबूझकर बीच-बीच में प्रयोग छोड़ दें। पाँच दिन प्रयोग करें, एक दिन न करें तो आपकी क्षमता बनी रहेगी।
स दूसरी बात यह है कि, यह ना मानें कि भौतिक साधनों में ही अंतिम सुख है। आज लोगों ने यह मान लिया है कि- ”धन-संपत्ति आदि भौतिक साधनों में अंतिम सुख है, जैसे-तैसे करके इन साधनों को प्राप्त करो, जिसके पास
धन-संपत्ति अधिक से अधिक होगी, वो अधिक से अधिक सुखी होगा।” यह मान्यता गलत है। इस गलत मान्यता से लोगों के जीवन की दिशा बदल चुकी है। सब लोग भोग साधनों के पीछे भाग रहे हैं और सहनशक्ति को छोड़ते जा रहे हैं।
स जिन कार्यों से व्यक्ति के जीवन में शांति थी, सुख था, चैन था, आनंद था, वो कार्य उसने छोड़ दिए। ईश्वर की भक्ति करना, यज्ञ करना, दान देना, सेवा करना, बड़ों का आदर करना, इन कार्यों से हमारे जीवन में शांति थी। आज वे काम तो लगभग छूटते जा रहे हैं। आज पूछो कि- आप हवन करते हैं, आप भगवान का ध्यान करते हैं, आप बच्चों को बिठा करके अच्छी बाते सिखाते हैं, आप बड़ों की कुछ सेवा करते हैं? तो वे कहते हैं- साहब, समय नहीं मिलता।
स उनके पास धंधा करने के लिए बहुत समय है, व्यापार करने के लिए बहुत समय है, शॉपिंग करने के लिये बहुत समय है, गप्पें मारने के लिए बहुत समय है। वे घंटों तक मोबाईल फोन पर चिपके रहेंगे, लेकिन अच्छे काम के लिए समय नहीं है और इधर-उधर के कामों में फालतू समय गंवाते रहते हैं। शांति देने वाले काम तो छोड़ दिए, तो फिर शांति कहां से मिलेगी? इसलिए जो शांति देने वाले काम हैं, मन को प्रसन्न करने वाले काम हैं, उन कामों को करें, सहनशक्ति बढ़ाएं।
स जब तक सहनशक्ति है, तब तक अपने परिवार वाले के साथ निभाएं। तब तक उसके साथ मिलके रहें, उसको बार-बार समझाएं, सहन करें। जब बिलकुल ऐसी परिस्थिति आ जाए कि वो पत्थर उठाकर सर फोड़ने को तैयार हो जाए, तब चुपचाप नमस्ते कर दें। फिर उससे अलग हो जाएं। यह बिल्कुल आखिरी सीमा है।
छोटी-मोटी बात हो तो ऐसा मन में बोलें- ”कोई बात नहीं”। और बड़ी बात हो तो वोलें-”ईश्वर न्याय करेगा”। इससे आपकी सहनशक्ति बढ़ेगी। ये आपकी सहनशक्ति बढ़ाने वाले सूत्र हैं।

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