विना मूर्ति के किस का ध्यान करें और किस प्रकार?

जैसे सुख दुःख का ध्यान मन में होता है वैसे परमेश्वर का ध्यान

मन में होना चाहिए, मूर्ति की कुछ आवश्यकता नहीं