वास्तविक मृत्यु ईश्वर द्वारा लिखी जाती है, जो कि सौ वर्ष से कम नहीं है। क्या इससे कम जीवन देकर ईश्वर जीव को संसार में नहीं भेजता?

हाँ इससे कम जीवन देकर भी भेजता है। कर्मानुसार ईश्वर आयु देता है । पहले लोग अच्छे काम करते थे, खान-पान ठीक था, व्यायाम भी ठीक था, ब्रम्हचर्य का पालन भी करते थे, दिनचर्या का पालन भी करते थे आदि आदि। लोग आयु बढ़ाने वाले कर्मों का आचरण करते थे तो भगवान सौ वर्ष की आयु देकर भेजता था। अब वो सारा कुछ बदल गया। खान-पान बिगड़ गया, जलवायु बिगड़ गया, दिनचर्या बिगड़ गई, ब्रह्मचर्य का पालन भी नहीं रहा। और भी कई चीजें बिगड़ गई। इसलिए भगवान अब सौ वर्ष की आयु देकर नहीं भेजता। किसी-किसी को देता है। जिससे के जैसे कर्म होते हैं, उसको वैसी आयु देता है, कम भी देकर भेजता है। पर जितनी आयु देकर भेजता है, उसकी भी गारंटी नहीं है, कि व्यक्ति उतने दिन जी लेगा। तब जी सकता है, जबकि वह दुर्घटनाओं से बचता रहे। एक्सीडेंट होता है, मर जाते हैं, पैदा होते ही मरते हैं, दो साल के भी मरते हैं। उनकी सुरक्षा-देखभाल ठीक से नहीं हो पायी। इंफेक्श्न हो गया, मर गये। एक की भूल के कारण दूसरे को नुकसान होता है। हम सड़क पर चलते हैं, ठीक-ठाक चलते हैं। पीछे से ट्रक, कार वाला आकर के हमको ठोकता है। उसकी गलती से हमको नुकसान होता है। ऐसे ही डॉक्टर की भूल से, नर्स की भूल से, मां-बाप की भूल से, बच्चे को नुकसान हो सकता है। उसकी मृत्यु हो सकती है, हाथ-पांव, टेढ़े-मेढ़े हो सकते है, कुछ भी हो सकता है।

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