लोग कहते हैं कि आत्मा ही परमात्मा है। और वही लोग कहते हैं, कि ईश्वर एक है। तो जब ईश्वर एक है, तो आत्मा में कैसे आ सकता है? आत्मा तो अनेक हैं। तो आत्मा, परमात्मा कैसे हैं, क्या परमात्मा खंडित-खंडित है?

आत्मा और परमात्मा एक नहीं है। आत्मा अलग चीज है, परमात्मा अलग चीज है। परमात्मा एक है, और आत्मायें तो अनेक हैं, असंख्य हैं। हम तो गिन भी नहीं सकते हैं। ईश्वर तो गिन सकता है, कि कितनी आत्मायें है । आत्मा का टोटल नम्बर (कुल संख्या( ईश्वर को पता है। हमको नहीं पता है। आत्माओं की इतनी अधिक संख्या है, कि हम दिमाग लगायेंगे, तो भी फैल हो जायेंगे। हम कल्पना भी नहीं कर सकते।
स ईश्वर और आत्मा दोनों अलग-अलग चीजें है, दोनों में अंतर है। कैसे अंतर है? इलेक्ट्रान और प्रोटॉन में अंतर है या नहीं। है यह कैसे पता चला? उनकी प्रॉपर्टीज (गुणधर्म( से। इलेक्ट्रान में निगेटिव चार्ज है, और प्रोटॉन में पोजिटिव चार्ज है। उसकी प्रोपर्टीज से पता लगता है, कि इलेक्ट्रान अलग चीज है, प्रोटॉन अलग चीज है। इसी तरह से आत्मा और ईश्वर इन दोनों की प्रॉपर्टीज भी अलग-अलग हैं। इनकी प्रोपर्टीज से पता लगता है कि ईश्वर अलग है, आत्मा अलग है। क्या अंतर हैं इनकी प्रॉर्टीज में।
स सोचिये, क्या ईश्वर कभी दुःखी होता है ? नहीं और आत्मा तो रोज दुःखी रहता है। इससे पता लगा दोनों अलग-अलग हैं। ईश्वर सर्वव्यापक है, क्या जीवात्मा सर्वव्यापक है? नहीं। जीवात्मा एक स्थान पर रहता है। ईश्वर को सब कुछ मालूम है, क्या जीवात्मा को सब कुछ मालूम है? नहीं मालूम। जीवात्मा घोटाले करता है, क्या ईश्वर भी घोटाले करता है। यहां तो रोज अखबारों में घोटाले पढ़ते हैं। कोई चार सौ करोड़ खा गया, कोई नौ सौ करोड़ खा गया, कोई पन्द्रह हजार करोड़ खा गया। इसलिए जब दोनों की प्रॉर्टीज अलग-अलग है, तो दोनों चीजें अलग-अलग है। ईश्वर अलग है, आत्मा अलग है।
स ईश्वर एक है, और वो अखंड तत्त्व है। वो टुकड़े-टुकड़े नहीं है। जीवात्माएं अलग-अलग हैं। एक-एक आत्मायें भी स्वतंत्रता पूर्वक अखंड है। आत्मा भी कोई टुकड़ों (पार्टीकल्स( का कॉमबीनेशन नहीं है,= खंडों का समुदाय नहीं है। वो भी एक तत्त्व है। लेकिन आत्मा बहुत छोटा है, और ईश्वर बहुत बड़ा है। ईश्वर पूरे ब्रह्माण्ड में और उससे भी बाहर, बहुत दूर-दूर तक फैला हुआ है। इस प्रकार दोनों अलग-अलग है।

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