जयपुर में जैनियों के एक गुरु ने शास्त्रार्थ करने की इच्छा प्रकट की,
परन्तु वह स्वामी जी को अपने मकान पर ही बुलाना चाहता था, इस कारण
मौखिक शास्त्रार्थ न हुआ । और स्वामी जी ने १५ प्रश्न लिखकर उनके पास
भेज दिये, जिनका उत्तर यति जी से न बन पड़ा परन्तु उन्होंने ८ प्रश्न लिखकर
स्वामी जी के पास भेज दिये, जिनका उत्तर स्वामी जी ने बड़ी योग्यता से
दिया । (आर्य धर्मेन्द्रजीवन, रामविलास शारदा पृ० ३२, लेखराम पृ० ५६)