यह कैसे साबित हो कि अच्छे कार्य करने से व्यक्ति मोक्ष में जाता है? क्या अभी तक कोई भी व्यक्ति मोक्ष में गया है? अगर हाँ तो आपको कैसे ज्ञान हुआ कि वो व्यक्ति मोक्ष में गया है?

हम सब के सब मोक्ष में जा चुके हैं और सारे मोक्ष में से लौटकर आए हैं। यही शास्त्र भी कहता है, वेद भी कहता है कि अच्छे काम करो, निष्काम कर्म करो और मोक्ष में जाओ।
प्रश्न है – इसका पता कैसे चलेगा? आपको भी बता देता हूँ। आपको भी पता चलेगा, मुझे भी और सबको पता चलेगा। जो व्यक्ति मोक्ष में जा रहा है, वो स्वयं ज्ञान रखता है कि अब मेरा मोक्ष होगा या अभी और जन्म होगा। उसकी कसौटी यही है कि-
स ”अगर आपके मन में सांसारिक सुख भोगने की सारी इच्छाएं समाप्त हो गईं हैं तो आपका मोक्ष हो जाएगा।”
अगर ऐसा लगता है कि अभी और सांसारिक सुख भोगने की इच्छा बाकी है तो समझ लेना अभी और जन्म लेना पड़ेगा। यह कसौटी वेद, योग दर्शनादि शास्त्रों में लिखी है। वहाँ से हमें ज्ञान हुआ।
स अब हर एक को अपना-अपना तो पता चलता ही है। जब भूख लग रही है तो आपको पता चलता है और खाना खाते हैं, पूरा पेट भर जाता है तो आपको पता चलता है कि अब पेट भर गया है, अब और नहीं खाना। ऐसे ही इच्छाएँ समाप्त हो गईं, यह भी पता चलेगा। अब और सांसारिक सुख नहीं भोगना, पूरा हो गया, बस तब समझ लेना कि मुझे अब मोक्ष मिल जाएगा।
स अगर अनादिकाल से आज तक एक भी मोक्ष में नहीं गया, ऐसा मानो तो, भविष्य में क्या कोई जा पाएगा? भविष्य में भी नहीं जाएगा। इसका मतलब है, भगवान यह झूठ बोलता है कि तुम मोक्ष में जाओ। लेकिन ऐसा तो नहीं है। भगवान सच बोलता है।
भगवान कहता है कि पुरुषार्थ करो और मोक्ष में जाओ। इसका मतलब मोक्ष में जाना संभव है। अगर संभव है तो पहले भी बहुत सारे लोग गए और आगे भी लोग जाएंगें। आप भी गए थे, हम भी गए थे, और फिर जाएंगे। जोर लगाएंगे तो जाएंगे।
स यह ‘संन्यास’ किसलिए लिया जाता है? क्या व्यापार करने के लिए, पैसे कमाने के लिए? नहीं, संन्यास का एक ही उद्देश्य हैः- ”मोक्ष में जाना”। संन्यास के बाद फिर मोक्ष होता है। संन्यासी बनने से तो लोगों को डर लगता है कि हमको संन्यासी बनवा कर घर छुड़वा देंगे। मोक्ष में जाने के लिए संन्यास लेना अनिवार्य (कम्पलसरी( है। आज लो, बीस जन्म बाद लो, पचास जन्म के बाद लो, लेना तो पड़ेगा और कोई रास्ता नहीं है।
मुझे मोक्ष में जाना है, दुनिया में नहीं रहना है। मेरी समझ में आ गया। आप भी प्रयास करें, आपको भी समझ में आएगा।
स हमारे गुरुजी कहते हैं – स्वार्थी मत बनना। औरों को भी साथ लेकर जाना। इसलिए मेरी ड्यूटी लगा रखी है, जाओ प्रचार करो। दूसरे लोगों को भी साथ लेते चलो, अकेले मोक्ष में मत जाना।
स घर छोड़ना पड़ेगा, संसार छोड़ना पड़ेगा, तब मोक्ष होगा। मेरा प्रवचन सुनकर के, आप जोश में आकर, कल ही घर मत छोड़ देना। अंततः करना यही पड़ेगा, लेकिन कब करें? उसके लिए तैयारी करनी पड़ेगी, योग्यता बनानी पड़ेगी।
स आज से आप सोचना शुरु करें कि हमें घर छोड़ना है, हमें वानप्रस्थ लेना है, हमें संन्यास लेना है, योग्यता बनानी है। आपको घर छोड़ने की तैयारी करने में भी पाँच-दस वर्ष निकल जाएंगे। इसलिए जोश में आकर कोई काम नहीं करना चाहिए। होश में रहकर बु(िमत्ता से अपने सामर्थ्य को ध्यान में रखकर के करना चाहिए। तैयारी तो आप आज से भी शुरु कर सकते हैं, कि हम समय आने पर योग्यता बनाकर वानप्रस्थ लेंगे, संन्यास लेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *