हाँ बिल्कुल, मोक्ष में उसको पूरा अच्छी तरह अनुभव होता है, कि मैं आनंद प्राप्त कर रहा हूँ। जैसे- आपके सामने प्लेट में रसगुल्ले रखे हैं, और आप जाग रहे हैं, अच्छी तरह होश में हैं। आप जब रसगुल्ले खा रहे हैं, तो आपको पता चलता है, कि रसगुल्ले का स्वाद ले रहे हैं। जैसे आप जागृत अवस्था में रसगुल्ले, मिठाई खाते हैं, उसका स्वाद मिलता है, सुख मिलता है। और आप समझ रहे हैं कि हम रसगुल्ले का स्वाद ले रहे हैं, उसका सुख भोग रहे हैं। ऐसे ही मोक्ष में जीवात्मा को पूरा-पूरा होश रहता है। उसे पूरा-पूरा पता चलता है, कि हम ईश्वर का आनंद ले रहे हैं। ईश्वर का आनंद उसको मिलता रहता है। और वो ठीक ऐसे ही समझता है, जैसे हम जागृत अवस्था में यहाँ संसार में समझते हैं, कि हम सुख भोग रहे हैं। यह मोक्ष में जीवात्मा द्वारा आनंद भोगने की स्थिति है।