मोक्ष में आत्मा के साथ में मन, बु(ि, चित्त, कारण शरीर आदि रहते हैं या नहीं?

मोक्ष में ये प्राकृतिक शरीर, मन, बु(ि, चित्त, इन्द्रियाँ, यह स्थूल शरीर, कोई भी साथ में नहीं रहता। प्रकृति से बना कोई भी शरीर मोक्ष में नहीं रहता। कारण शरीर भी प्राकृतिक है। सत्त्व, रजस, और तमस जो मूल प्रकृति है, उसका नाम ही कारण शरीर है। वो भी साथ नहीं रहता। कोई प्राकृतिक शरीर साथ नहीं रहता मोक्ष में। जीवात्मा के 24 शु( गुण सत्यार्थ-प्रकाश के नौंवे समुल्लास में लिखे हैं। वो साथ रहते हैं। और ईश्वर का आनंद मिलता है। ईश्वर के मुक्तात्मा के साथ होता है। बस मोक्ष में इतना ही होता है। प्रकृति या प्राकृतिक संबंध नहीं होता। जीवात्मा मुक्ति में परमात्मा की शक्ति से सुनेगा, देखेगा, सारे काम करेगा। जीवात्मा और परमात्मा दोनों अलग-अलग हैं। दोनों की शक्ति अलग है। ईश्वर की शक्ति के सहयोग से ‘मुक्त-आत्मा’ सारे काम करता है। मोक्ष में प्रकृति वाला मन नहीं रहता है। सत्यार्थ प्रकाश का नौंवा समुल्लास पढ़िये। उसमें जीवात्मा की चौबीस शक्तियाँ लिखी हैं। उसमें जीवात्मा की एक मनन शक्ति भी है। वो मनन शक्ति से मनन करेगा, घ्राण शक्ति से सूंघेगा, दर्शन शक्ति से देखेगा, श्रवण शक्ति से सुनेगा। पर उसकी अपनी शक्ति बहुत कम है। जीवात्मा केवल अपनी शक्ति से मुक्ति में सारे काम नहीं कर सकता। उसमें ईश्वर की शक्ति और साथ उसके जुड़ेगी

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