मैं नेत्रहीन हूँ, पर स्वप्न क्यों आते हैं?

अनेक जन्मों के संस्कार इस जन्म में साथ में आते हैं। अब संस्कार से ही स्वप्न पैदा होता है। स्वप्न की उत्पत्ति संस्कारों से होती है। अब यह तो मेरा अनुभव नहीं है। मैं सीधा-सीधा प्रत्यक्ष नहीं कह सकता, कि पूर्वजन्म के संस्कारों से भी स्वप्न आते हैं, या नहीं आते। आपको रूप का स्वप्न नहीं आता, इससे यह संभावना लगती है, कि पूर्वजन्म के संस्कार से स्वप्न नहीं आ रहा क्योंकि पूर्वजन्म में तो आपकी आँख ठीक-ठाक रही होगी। यह तो इसी जन्म में बिगड़ी है। या ऐसा मान लिया जाए, पिछले बीस जन्म से बिगड़ी है। ऐसा तो नहीं मान सकते न। आँख से उस समय तो आपने दृश्य देखे होंगे। वो संस्कार इस जन्म में साथ में चले आए। पर इस जन्म में आपको रूप का दर्शन नहीं हुआ और आपको रूप का स्वप्न भी नहीं आया। आपकी इस बात से यह लगता है, कि पूर्वजन्मों के संस्कारों से इस जन्म में स्वप्न नहीं आ रहे। सुनकर तथा अन्य इन्द्रियों के विषयों को भोगने भी संस्कार बनते हैं, और उन संस्कारों से स्वप्न आते हैं। यह बात है। जो आपके प्रश्न का उत्तर है।

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