आपका पड़ोसी जो बार-बार ये चीजें माँगता है, उसे एक-दो बार दे दो। बार- बार आये तो कहो- बस भैया, हमारे पास इतनी ही ताकत है। अब हम रोज-रोज नहीं दे सकते। तुम अपने पैसे कमाओ और अपना खाओ। वह नाराज होता है, तो होये। उसकी चिंता नहीं। हम स्वार्थी नहीं हैं, हम लोभी नहीं हैं। पड़ोसी की सहायता करनी चाहिये। जितनी शक्ति हो, जितना सामर्थ्य हो, उतनी पड़ोसी की सहायता करनी चाहिये। अब जब सामर्थ्य पूरा हो जाये, तो साफ बोल दो, कि भाई अब नहीं कर सकते। हमारी ताकत खत्म। अब तुम खुद कमाओ और खाओ। किसी और के पास जाओ। तुम खुद मेहनत क्यों नहीं करते? तुम्हारे भी तो हाथ हैं। हमारे दो हाथ हैं, तुम्हारे भी दो हाथ हैं। जब हम कमा सकते हैं तो तुम भी कमा सकते हो। अपना कमाओ और खाओ। प्रेम से कहो, झगड़ा नहीं करना। यदि अधिक नहीं कमा सकते, तो थोड़े में गुजारा करना सीखो । रोज-रोज माँगना तो अच्छा नहीं है।