गुस्सा बहुत आता है तो उसका उपाय तो दर्शन योग महाविद्यालय से प्रकाशित पर्चे में लिखा है। क्रोध को कैसे दूर करें, इस संबंध में उसमें बहुत सारे उपाय लिखे हैं।
क्रोध कम करने का मोटा सा उपाय दोहरा देता हूँ। क्रोध को दूर करने का सबसे बढ़िया उपाय है- अपनी इच्छाओं को कम करें। आप दूसरों से उम्मीद रखते हैं कि यह व्यक्ति मेरे साथ ऐसा व्यवहार करेगा, इसको मेरे साथ ऐसा करना चाहिये। यह जो उम्मीद रखते हैं, इसको कम करें। जितनी इच्छायें बढ़ायेंगे, जितनी उम्मीदें बढ़ायेंगे, दूसरों से उतना दुःख बढ़ेगा। कैसे बढ़ेगा? दो वाक्यों में समझ लीजिये। क्या हमारी सारी इच्छायें पूरी हो सकती हैं? नहीं न। जितनी इच्छायें पूरी होती जायेंगी, वो समाप्त होती जायेंगी या बढ़ती जायेंगी? वे तो और बढ़ती जायेंगी और सारी तो पूरी होंगी नहीं। बताइये, वो अधूरी इच्छा आपको सुख देंगी कि दुःख देंगी? बस, वो दुःख देंगी, उससे फिर आपका क्रोध बढ़ेगा। इसलिए उपाय क्या हुआ? अपनी इच्छाओं को कम करें।
हमेशा एक सा नहीं सोचें। पॉजिटिव भी सोचें, कुछ-कुछ नेगेटिव भी सोचें। यह काम जरूर हो जायेगा, यह व्यक्ति हमारा काम जरूर करेगा और इस दिन तो कर ही देगा, ऐसा कभी नहीं सोचना। ऐसा भी हो सकता है कि काम न हो। इसलिए दोनों संभावनायें हैं तो दोनों क्यों नहीं सोचें? किसी ने हमारा काम कर दिया, तो ठीक। और नहीं किया तो यह शब्द दोहरायें- ”कोई बात नहीं”। इससे आपको गुस्सा नहीं आएगा या कम आएगा।
एक ही व्यक्ति पर पूरी तरह से आधारित मत रहिये। एक ही व्यक्ति पर पूरा भरोसा मत रखिये। अगर वो धोखा दे गया तो आपको बहुत मुश्किल हो जायेगी। उसका दूसरा विकल्प (ऑप्शन( अपने दिमाग में रखिये। इधर से काम नहीं हुआ तो दूसरे से, दूसरे से नहीं हुआ तो तीसरे से काम करायेंगे। इसी प्रकार चौथा, पाँचवा, छठा ऑप्शन रखिये। कहीं न कहीं तो काम हो ही जायेगा। अगर आपने अपने मन में चार, पाँच, छह ऑप्शन रख लिये कि यहाँ से नहीं तो वहाँ से, कहीं से तो काम होगा।
मान लीजिये कि- छह में से कहीं भी काम नहीं हुआ, तो एक सातवाँ ऑप्शन और भी रखिये अपने दिमाग में। वह ऑप्शन है- नहीं हुआ तो न सही, हम इसके बिना ही जी लेंगे। अगर यह सातवाँ ऑप्शन आपके दिमाग में है तो आपको कोई दुःखी कर ही नहीं सकता। आप कभी दुःखी नहीं होंगे और कभी क्रोध नहीं करेंगे। इस तरह से आप क्रोध को जीत सकते हैं।