जब किसी कर्म में कुछ अंश तो अच्छाई का, और कुछ अंश बुराई का हो, यानी दोनों इकट्ठे होते हैं, तो उसको मिश्रित-कर्म कहते हैं।
एक उदाहरण सुनिए – एक परिवार में सब लोग घर में रात को खाना खा चुके थे। इतने में अचानक दरवाजे पर घंटी बजी। जब दरवाजा खोला तो अपना एक रिश्तेदार बड़ी दूर से आ रहा था। वो रात को साढ़े दस बजे अचानक आ गया। उसने पहले दूरभाष के द्वारा अपने आने की सूचना भी नहीं दी।। आकर बोला – ”देखो जी, मेरी गाड़ी लेट हो गई, मेरे पास रास्ते में खाना था, वो भी खत्म हो गया। और मुझे जोर से भूख लगी है, मेरे मोबाइल फोन की बैटरी डाउन हो गई, मैं सूचना भी नहीं दे पाया। मेरे लिए खाना लाओ, नहीं तो रात को नींद नहीं आएगी।”
वह कितने बजे रात को बोला? साढ़े दस बजे। खाना खत्म हो गया था। अब बताइए, फिर दोबारा दाल बनाओ, रोटी बनाओ, सब्जी बनाओ, खाना बनाते-खिलाते रात को बजेंगे साढ़े बारह। सब काम निपटाने में एक भी बज सकता है।
रिश्तेदार है, भूखा तो सुला ही नहीं सकते। रिश्तेदार आपको भी तंग करेगा कि – ”मुझे खाने को दो, मुझे नींद नहीं आ रही है, मैं करूँ क्या। बाजार में अब क्या मिलेगा, साढ़े दस बज रहे हैं, सब दुकानें बंद हो गई।” व्यक्ति मन में क्या सोचता है? कैसे लोग हैं, पहले से बताते भी नहीं हैं। हम पहले से बनाकर रखते। अब रात के साढ़े दस बजे आकर कहते हैं – ”जी खाना खिलाओ।”
अगर रिश्तेदार को खाना नहीं खिलाया तो ‘अशुभ-कर्म’ है। और खिलाया तो खिलाने के दो ऑप्शन हैं – जो यजमान रात को नए सिरे से भोजन पकाएगा वह या तो खुश होकर के खिलाएगा या दुःखी होकर खिलाएगा? अगर खुश होकर खिलाएगा, तो यह होगा ‘शुभ-कर्म’। और अगर दुःखी होकर खिलाएगा, तो यह होगा ‘मिश्रित- कर्म’। खाना खिलाया, यह तो अच्छी बात है। लेकिन दुःखी होकर के खाना खिलाया, यह बुरी बात है। दोनों मिक्स हो गई न। उतना पुण्य माइनस हो जाएगा, उतना पुण्य कट जाएगा। आप सोच लेना, फिर जैसा करना हो।
CORRECT ME IF I AM WRONG .Arya samaj tells that when god created human he created vedas but what about those ancient people of america(Aztec or maya etc) or Australia who were remain uncultured till modern age.why does not god created vedas for them.
I am a follower of arya samaj and also readed satyarth parkash and in that also written that at mahabharat kings from patal lok(America) came but why how their empire get down to Aztec or maya or other uncultured pagans.
Dear Sarvendra. Please reada again same chapter of SP where above mentioned info is mentioned, answer to your question also lyies there
Thank you.