मनुष्य क्या कर सकता है, यह ईश्वर पहले से जानता है। मनुष्य के किसी काम से ईश्वर को आश्चर्य नहीं होता। उदाहरण के लिए, यदि मनुष्य ने ट्रैक्टर का अविष्कार कर खेती करना शुरु किया, तो यह बात ईश्वर पहले से जानता था। परन्तु ईश्वर यह भी जानता था कि हल से खेती करने में ज्यादा फायदा होगा और ट्रैक्टर से कम। ईश्वर सर्वज्ञ है। उसके पास अच्छे-बुरे कर्मों की पूरी सूची है। मनुष्य या जीवकृत कोई भी कर्म ईश्वर के लिए नया नहीं है।
ईश्वर हमेशा अच्छा काम करने के लिए कहता है, कठिनाइयों से बचने के लिए उपदेश देता है। वह जानता है कि, लोग चोरी, डकैती, लूट-मार, शोषण व अन्याय करेंगे, पर फिर भी ईश्वर सृष्टि बनाता है और सुझाव भी देता है। वह अच्छे और बुरे कर्मों का परिणाम भी बता देता है। यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह ईश्वर की बात माने या न माने। यदि वह नहीं मानता, तो उसे दण्ड भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।