भारत में महिला और पुरुष दोनों को समान दर्जा प्राप्त है। लेकिन विवाह के बाद महिलाओं के पास मंगलसूत्र और सिंदूर रहता है। वो उनकी विवाहित होने की पहचान है। लेकिन विवाहित पुरूषों की क्या पहचान है?

देखिये पुरुषों के पास भी पहचान है। पर आजकल लोगों ने उनकी पहचान बिगाड़ दी है। हमारे वैदिक शास्त्रों के अनुसार विवाह से पूर्व श्रृंगार करने का अधिकार न पुरुष को है और न स्त्री को। जब विवाह होता है, उस दिन उनको श्रृंगार का अधिकार मिलता है। मातायें श्रृंगार कर लेती हैं, बिंदी लगा लेती हैं, सिंदुर लगा लेती हैं और आभूषण आदि पहन लेती हैं। विवाहित पुरुषों को भी अधिकार मिलता है, कि हाथ में अंगूठी पहनो, गले में चेन पहनो। ये श्रृंगार के साधन हैं। इससे पता लगता है कि यह विवाहित पुरुष है। जिसके हाथ में अंगूठी नहीं है, गले में चेन नहीं है, इसका मतलब है कि वो व्यक्ति अविवाहित है। अब तो अविवाहित लोग भी अंगूठी पहन लेते हैं, चेन पहन लेते हैं। लोगों लोगों ने पहचान में बिगाड़ कर दिया। यह लोगों का दोष है। लोगों को पहचान में बिगाड़ नहीं करना चाहिए। जब श्रृंगार का अधिकार मिले, तभी करना चाहिए, उससे पहले नहीं।

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