प्रश्न है कि मनुष्यों की संख्या क्यों बढ़ती जा रही है, जबकि अच्छे काम घट रहे हैं, बुरे काम ज्यादा हो रहे हैं। उत्तर समझने के लिएः-
स अच्छा यह बताइए कि, मनुष्यों की संख्या अधिक है या दूसरे कीड़े-मकोड़ों की? उत्तर होगा- कीड़े-मकोड़ों की। इससे बात साफ है, अच्छे कर्म कम होते हैं, इसलिए मनुष्य कम हैं। बुरे काम ज्यादा होते हैं, इसलिए संसार में कीड़े-मकोड़े, पशु-पक्षी ज्यादा हैं। एक तो यह मोटी-मोटी बात है।
स अब यह बताइए कि, पिछले पचास सालों में मनुष्यों की जो संख्या बढ़ी, यह सामान्य मजदूर गरीबों के घर में बढ़ी या आई.ए.एस, आई.पी.एस ऑफीसरों के घर में बढ़ी? यह तो सामान्य परिवारों में बढ़ी। इसका मतलब निकला कि – पशु-पक्षी, कीड़े-मकोड़े के शरीर से लौटकर जीवात्मा आ रहे हैं। इसलिए सामान्य मजदूर गरीबों के घर में मनुष्यों की संख्या बढ़ रही है।
संख्या अच्छे कर्मों के कारण नहीं बढ़ रही। पाप-दंड भोग करके, निपटा करके, अब उनका मनुष्य बनने का नंबर आया। इसलिए वो लौटकर मनुष्य बन रहे हैं। इन मनुष्यों की संख्या बढ़ रही है।
स इस समय जो पाप कर रहे हैं, वो मरने के बाद यहाँ से वहाँ ट्रांसफर हो रहे हैं, कुत्ते-बिल्ली में, गाय-घोड़े के शरीर में। संसार के लोगों को यह सत्य दिखता नहीं। इसलिए लोग पाप करना छोड़ते नहीं।
लोग तो यह समझते हैं कि, हरिद्वार में जाओ, गंगा जी में स्नान करो तो सारे पाप खत्म हो जाएंगे। इसलिए लोग खूब पाप करते हैं। अगर उनको समझ में आ जाए कि भगवान छोड़ेगा नहीं, कुत्ता-बिल्ली बनाएगा, दंड देगा, माफ नहीं करेगा तो वो पाप करना बंद कर देंगे।
स मैंने एक नियम बताया था – ‘दंड के बिना कोई सुधरता नहीं है।’ अगर दंड दिखता है, तो व्यक्ति सुधरेगा। देखिए, यह बिजली का तार है। क्या बिजली के तार को आप छुएंगे? क्यों नहीं छुएंगे ? साफ दंड दिख रहा है न, कि छूते ही दंड मिलेगा। जब दंड दिख रहा है तो आप नहीं छुएंगे। और ऐसे ही अगर यह दंड भी दिखने लग जाए कि हम झूठ, छल-कपट, चोरी, बेईमानी करेंगे तो भगवान कुत्ता, साँप, बिच्छू, भेड़िया आदि बना देगा। तो आप पाप क्यों करेंगे? कोई भी नहीं करेगा। सब सीधे हो जाएंगे, सब सुधर जाएंगे। तो संख्या के बढ़ने-घटने का यह कारण है।