पुरुषार्थ-चतुष्ट्य में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष है। इसमें ‘काम’ से क्या अभिप्राय है। क्या मोक्ष की प्राप्ति हेतु प्रारंभ के तीन पुरूषार्थ साधने आवश्यक हैं?

काम’ का मतलब है-अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करना। ‘धर्म’ है- वेद के अनुसार आचरण करना। ‘अर्थ’ है- वेदानुसार आचरण करके
धनादि प्राप्त करना यानि ईमानदारी और मेहनत से धन कमाना।’ और उससे खाना-पीना, रोटी-कपड़ा, मकान आदि का प्रबंध करना ‘काम’ है। जब धर्म, अर्थ और काम, ये तीनों चीजें सि( हो जायेंगी, तब उसके बाद ही ‘मोक्ष’ मिलेगा। जो व्यक्ति ‘धर्म’ का आचरण नहीं करता, वो ‘अर्थ’ नहीं प्राप्त कर सकता, वो काम की पूर्ति भी नहीं कर सकता और उसको ‘मोक्ष’ भी नहीं मिल पायेगा। जो ये तीन ठीक कर लेगा, उसका मोक्ष भी हो जायेगा।

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