द्रोपदी का चीरहरण चुपचाप देखते रहना, क्या भीष्मपितामह जैसे महान व्यक्ति की कमजोरी नहीं दर्शाता? कहते है, कि कौरवों का अन्न खाने से उनकी बु(ि मलीन हो गई थी। हम भी इतना दूषित भोजन खाते हैं, तो क्या हमारी बु(ि भी मलीन हो गई है। फिर योग धर्म कैसे असर करेगा?

महाभारत’ में नौ सौ प्रतिशत मिलावट है। जैसे एक आदमी ने दस हजार रुपये घर से लेकर के व्यापार किया। और उसने कुल मिलाकर के एक लाख रुपये कमाया। उसने नौ सौ प्रतिशत लाभ कमाया। महाभारत की स्थिति भी ऐसी ही है। उसमें मूल श्लोक केवल दस हजार थे। व्यास जी ने जब महाभारत का इतिहास लिखा था तब इसका नाम था-‘जय। फिर फिर बाद में हुआ-‘भारत’। तब इसका नाम ‘महाभारत’ नहीं था। चीन का इतिहास ‘चायना’ के नाम से प्रस्तुत है। जापान का इतिहास ‘जापान’ के नाम से और भारत का इतिहास ‘भारत’ के नाम से। तो पहले जब मूल रुप से इतिहास लिखा था तब उसमें केवल 10,000 श्लोक थे। और बाद में जब इतिहास की कथा होने लगी। तो कुछ दो, चार, पांच, दस पंडितों ने अपनी कथायें शुरु की और दो श्लोक एक ने डाले, दो दूसरे ने डाले, दो तीसरे ने डाले और वो बढ़ते-बढ़ते आज एक लाख श्लोक हो गए। तो कितनी मिलावट हुई, नौ सौ प्रतिशत। 90 हजार मनगढंत श्लोक इसमें जोड़ दिये गये। अब जो घटना आती है, कि द्रोपदी का चीर हरण हुआ। हमको तो यह सरासर मिलावट दिखती है, ऐसा कुछ हुआ नहीं। ऐसा हो भी नहीं सकता।
यह बेकार की बात पढ़ते हैं, लिखते हैं और टीवी सीरियल में भी दिखा दिया इन्होंने। सब झूठ बाते हैं। आप कल्पना तो करके देखिये, कि- क्या ऐसा हो सकता है। आपके मोहल्ले में, आपकी नजर में एक सामान्य स्तर का व्यक्ति ऑटो-रिक्शा चलाता है। पाँचवी-छटवीं कक्षा पढ़ा हुआ है। कल्पना कीजिए- उसकी पत्नी को कोई आदमी पकड़ ले, और उसके कपड़े खींचने लगे तो क्या वो देखता रहेगा? वो लड़ मरेगा। वो कहेगा- पहले मुझसे बात करो, बाद में इसको हाथ लगाना। मेरे जिन्दा रहते तुम इसको हाथ नहीं लगा सकते। इसकी रक्षा की जिम्मेदारी मैंने ली है। पहले मुझसे दो-दो हाथ करो बाद में इधर बात करना। तो वो पांच-पांडव बड़े राजा लोग थे। बड़े वीर धर्नुधारी, बड़े पहलवान, कितने विद्वान और कितने मल्ल स्तर के लोग थे भीम जैसे, अर्जुन जैसे। वो क्या मुंह देखते होंगे? कल्पना तो करके देखो, कितनी झूठ बात है। एक रिक्शा ड्राईवर भी ऐसी बात को सहन नहीं कर सकता, कि कोई उसकी पत्नी को हाथ लगाये। वो पांच बड़े पढ़े-लिखे, बलवान, यो(ा महापुरूष कैसे सहन करेंगे, कि उनके देखते-देखते कोई उनकी घर की स्त्री को हाथ लगाये। इसलिए चीरहरण तो बिल्कुल कोरी कल्पना है। यह जुआ खेलने की घटना में भी घोटाला है। बहुत कपोल कल्पनायें हैं। जुआ में रुपया हार जाये, जमीन हार जाये, तो बात कुछ समझ में आती है। लेकिन पत्नी को हार जाये, दिमाग में बैठता नहीं है। पत्नी जुअे में, दाव में लगायी जाती है क्या? वो कोई संपत्ति है, कोई जड़ संपत्ति है, कोई सोना-चांदी है? वो चेतन व्यक्ति है। चेतन व्यक्ति को कोई भी जुअें में दाव पर नहीं लगा सकता। कानून का नियम है। महारभारत में इतनी मिलावट है, जैसे एक किलो दाल में नौ किलो कंकड़। असली दाल ढूँढने में कितनी मेहनत करनी पड़ेगी। दो-चार मिनिट में फैसला नहीं होगा। पर बैठकर के रिसर्च करनी पड़ेगी। तब पता लगेगा। ये सब बातें काल्पनिक है, झूठ बाते हैं। इसलिए इन्हें बु(ि स्वीकार नहीं करती।
अगला प्रश्न है, कि ‘भीष्म, दुर्योधन का अन्न खाते थे, जिससे बु(ि भ्रष्ट हो गई। इसलिए उसका विरोध नहीं कर पाये। हम भी तो दूषित अन्न खा रहे हैं, तो हमारी बु(ि पर योग का असर कैसे होगा?’ उसका उत्तर यह है, कि यदि हम अच्छा अन्न खायेंगे, अच्छी मेहनत से कमायेंगे, ईमानदारी से कमायेंगे और शु( भोजन खायेंगे। मांस-अण्डे आदि नहीं खायेंगे, सात्विक भोजन खायेंगे, तो योग का असर होगा। जितना पुरुषार्थ करेंगे, उतना लाभ होगा।

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