यह माता-पिता और संतान, तीनों का कर्मफल है। इसीलिए जन्म से ही व्यक्ति विकलांग और मंद-बु(ि हुआ। तीनों के कर्म आपस में मिलते-जुलते हैं। इसलिए ईश्वर ने सोच-समझकर ऐसी संतान, ऐसे माता-पिता के यहाँ भेजी है। संतान के भी कर्म खराब हैं, उसको विकलांग बनाना है और माता-पिता के भी खराब हैं, उनको विकलांग संतान देनी है। तो तीनों मिलके अपना कर्मफल भोगेंगे। यह परमात्मा का कर्मफल विधान है। इसका प्रमाण ‘न्याय-दर्शन’ में लिखा है।