समाधान-२ स्वामी दयानन्द सरस्वती जी आगे तो स्वामी इसलिए लगाते हैं क्योंकि वे संन्यासी थे, संन्यासी के लिए यह शब्द आदर के लिए लगाया जाता है। यह शब्द संन्यासी के लिए रुढ़ सा हो गया है। इसका अर्थ स्वत्वाधिकारी होता है अर्थात् अपने आपका अधिकारी चूंकि संन्यासी स्वत्वाधिकारी होता है इसलिए उनके नाम के आगे स्वामी लगाते हैं। स्वामी का एक अर्थ उच्च कोटि का धार्मिक पुरुष होता है।
दूसरी सरस्वती लगाने वाली बात- आचार्य शंकर से दस नामी संन्यासियों की परम्परा चली आयी है उनमें से एक सरस्वती भी है। स्वामी दयानन्द जी ने सरस्वती परम्परा वाले संन्यासी से संन्यास दीक्षा ग्रहण की थी, इसलिए संन्यास गुरु परम्परा अनुसार स्वामी दयानन्द के पीछे (सरस्वती) लग गया। इस सरस्वती शब्द का अर्थ महर्षि दयानन्द ने सत्यार्थप्रकाश के प्रथम समुल्लास में दिया है-
सरो विविधं ज्ञानं विद्यते यस्यां चित्तौ सा सरस्वती।
जिसको विविध विज्ञान अर्थात् शब्द सम्बन्ध प्रयोग का ज्ञान यथावत होवे उसको सरस्वती कहते हैं। विद्या, वाणी आदि का नाम भी सरस्वती है।