जब हम वैदिक गणना के अनुसार इस संसार की आयु एक अरब 96 करोड़, इतना वर्ष कहते हैं, तो यह गणना हमारी पृथ्वी अर्थात् सौरमंडल की है अथवा समस्त दृश्य-अदृश्य ब्रह्माण्ड की?

इसका उत्तर है, इस पृथ्वी की गणना तो यह है ही। इस पृथ्वी को उत्पन्न हुये इतना समय हो गया। महर्षि दयानंद जी के ग्रन्थों को देखने से पता चलता है, कि महर्षि दयानन्द जी पूरे ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति एक साथ मानते हैं और पूरे ब्रह्माण्ड की प्रलय भी एक साथ मानते हैं। )ग्वेद भाष्य-भूमिका आदि जो ग्रंथ हैं, उनके आधार पर ऐसा लगता है, कि यह सारे ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति का काल है।

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