भगवान ने हमको ‘कर्म-दंड’ के रूप में रोग दिया है और भगवान ने ही कहा कि इस रोग की चिकित्सा भी करवा लेना। रोगी हो जाएं, तो फिर चिकित्सा करवाएं। चिकित्सा के लिए हजारों प्रकार की औषधियाँ, वनस्पतियाँ भगवान ने बनाई हैं।
हम कर्म गड़बड़ करते हैं तो दंड मिलेगा और दंड मिलेगा तो फिर चिकित्सा कराकर और आगे अवसर भी तो मिलना चाहिए। यदि रोगी हो गए और चिकित्सा नहीं कराई तो मर जाएंगे और मर गए तो फिर आगे ‘मोक्ष’ के लिए अवसर आपको मिल नहीं पाएगा। इसलिए रोग की चिकित्सा भी करवानी चाहिए।