एक सि(ांत है कि, व्यक्ति कर्म करने में स्वतंत्र है। अगर कोई व्यक्ति चोरी करता है, डकैती करता है, लूटमार करता है, शोषण करता है, अंग-भंग करता है, अन्याय करता है, और ईश्वर उसका हाथ पकड़ ले तो क्या तब वो स्वतंत्र माना जाएगा? नहीं माना जाएगा।
स चाहे चोरी, अन्याय, शोषण या लूटमार कुछ भी करो। व्यक्ति कर्म करने में स्वतंत्र है। इसलिए ईश्वर तत्काल उस समय हाथ नहीं पकड़ता।
तीन घंटे की परीक्षा है। विद्यार्थी को प्रश्न-पत्र दे दिया। तीन घण्टे तक कुछ भी सही-गलत लिखो। मान लो, अध्यापक ने वहीं चक्कर मारते-मारते देख लिया कि वह गलत उत्तर लिख रहा है तो क्या अध्यापक उसका हाथ पकड़ लेगा कि तुम गलत मत लिखो? तीन घंटे तक आप (विद्यार्थी) कुछ भी लिखो, आपकी मर्जी। इसी प्रकार से व्यक्ति कुछ भी करे, ईश्वर वहाँ अपनी शक्ति नहीं दिखाता।
स कर्म करने में हम ‘स्वतंत्र’ हैं, फल भोगने में ‘परतंत्र’ हैं। जब फल देने का समय आता है, तब ईश्वर फल देता है। जैसे तीन घंटे पूरे होंगे, तभी तो नंबर मिलेंगे, बीच में नम्बर नहीं मिलते। बीच में उसका हाथ नहीं पकड़ा जाता है। उसके बाद में उत्तर पुस्तिका हमारे (परीक्षक के) पास में आएगी, फिर हमारी (परीक्षक की) मर्जी चलेगी। जो आपने किया उसके आधार पर नम्बर मिलेंगे।
वैसे ही हमारे जीवन के तीन घंटे तब पूरे होते हैं, जब मृत्यु आती है। पहला घंटा बचपन है, दूसरा जवानी है, तीसरा बुढ़ापा है। और उसके बाद जब घंटी बजती है तो शांतिपाठ होता है (मृत्यु होती है), फिर नंबर मिलते हैं। ईश्वर अपनी शक्ति कब दिखाता है? जब उसका अवसर आता है, तब ईश्वर अपनी शक्ति दिखाता है।
स जिसने अच्छे कर्म किए, उसको ईश्वर मनुष्य बना देंगे। जिसने चोरी, बदमाशी, उल्टे-सीधे काम किए। उसको सुअर, गधा, बिल्ली, मच्छर, मक्खी, उल्लू, आदि बना देंगे।
स कुछ कर्मों का फल इसी जन्म में भी मिलता है और कुछ का आगे भी मिलता है।
पर उन बच्चों ने क्या अपराध किया है जिसके लिए उन्हें दंड मिल रहा है दुख भोगना पर रहा है।
prashn ke uttar janane ke liye “Utkrisht Shanka samadhan” ke anya prashn padhen
Thank you.i am glad i have someone who clears my doubt.