सबसे छोटा कलियुग है, जिसमें चार लाख बत्तीस हजार वर्ष, द्वापर युग में इससे दोगुने- आठ लाख चौंसठ हजार वर्ष, त्रेता युग में इससे तीन गुना- बारह लाख छियान्नवे हजार वर्ष, और सतयुग में इससे चार गुना- सत्रह लाख अट्ठाइस हजार वर्ष होते हैं। इन चारों को जोड़ देंगे, तो तैंतालीस लाख बीस हजार वर्ष हुए। यह एक चतुर्युगी हो गई। एक सृष्टिकाल में एक हजार चतुर्युगी होती हैं। तो इसको एक हजार से गुणा करेंगे, तो चार अरब बत्तीस करोड़ वर्षों की संख्या होती है। एक हजार बार इस सृष्टिकाल में चतुर्युगियों की पुनरावृत्ति (रिपीट( होती है। यह चारों युगों के वर्षों की उपयुक्त संख्या है।