बिना संन्यास लिए आदमी सौ प्रतिशत अच्छे काम नहीं कर सकता और दुनिया उसको करने भी नहीं देगी। आप घर में रहो, गृहस्थ बनकर रहो, लोग आपको अच्छे काम करने ही नहीं देंगे। आपको बुरे कामों में घसीटेंगे। कहेंगेः- ”चल भई! हमारे यहाँ रिश्तेदारी में चल।” आप कहोगेः-”नहीं-नहीं, मैं नहीं जाऊँगा।” वे कहेंगेः-”अरे ! कैसे नहीं जाएगा, तेरे घर में फंक्शन था, तो हम नहीं आए थे क्या? आज हमारे घर में फंक्शन है, तू कैसे नहीं आएगा?” इस तरह आप नहीं जाना चाहेंगे तो भी वे जबरदस्ती घसीट के ले जाएंगे।
जब आप मेरी तरह संन्यासी बन जाएंगे, तो फिर कौन प्रेशर मारेगा? फिर कोई नहीं प्रेशर मारेगा। मैं कहूँगा-”मैं संन्यासी हूँ। मैं शादी में जाता ही नहीं। मैं अपने सगे भाई की शादी में नहीं गया तो तुम्हारी शादी में क्या आऊँगा।” अब बताओ, कौन मेरे साथ जबरदस्ती करेगा? इसलिए संन्यास लेना पड़ेगा। तब संसार के लोग आपके ऊपर दबाव नहीं डाल सकेंगे। और तब आप पूरे अच्छे काम कर पाएंगे। अगर आप गृहस्थ बने रहेंगे तो पचास लोग आपको प्रेशर मारेंगे और जबरदस्ती आपसे उल्टे-सीधे काम कराएंगे। इसलिए यदि आप मोक्ष में जाना चाहते हैं तो संन्यास लेना ही पड़ेगा।