क्या सृष्टि में जीवों की जनसंख्या निश्चित है। संसार में मानव, पशुओं, पक्षियों, जीव-जंतुओं की संख्या दिन- प्रतिदिन बढ़ती जा रही है तो एक बार संख्या निश्चित होती है तो बढ़ती कैसे है?

यह जो प्रश्न उठाया है कि सबकी संख्या बढ़ती जा रही है, यह बात ठीक नहीं है। कारण किः-
स आपके पास इन प्राणियों की संख्या का कोई हिसाब-किताब नहीं है। आप बता सकते हैं, दिल्ली में एक दिन में कितने मच्छर मरते हैं और कितने नए पैदा होते हैं? मच्छरों की संख्या का पता नहीं, और यहाँ तो हजारों, लाखों योनियाँ हैं।
स आत्माओं की संख्या निश्चित है। यह तो आप मानते हैं कि आत्माएँ न पैदा होती हैं, न मरती हैं। अगर आत्माएँ नई पैदा होने लग जाएं तो आत्माओं की संख्या बढ़नी शुरू हो जाएगी। जब नई आत्मा पैदा होगी तो संख्या बढ़ेगी। और जितनी आत्माएँ हैं, अगर उनमें से कुछ मरनी शुरु हो जाएं, तो घटने लगेंगी।
”जब आत्मा पैदा नहीं होती तो आत्माओं की संख्या बढ़ेगी नहीं, और जब आत्मा मरती नहीं तो संख्या घटेगी नहीं। इसलिए आत्माओं की संख्या तो उतनी ही रहेगी, एक कम नहीं होगी, एक बढ़ेगी भी नहीं।”
स रही बात शरीरों की। शरीर पैदा भी होते हैं और मरते भी हैं। इसलिए शरीर कभी घट जाते हैं, कभी बढ़ जाते हैं। एक जगह संख्या बढ़ रही है तो समझ लेना, दूसरी जगह जरूर घट रही है।
आत्माएँ तो उतनी ही हैं। एक आत्मा एक समय में छह शरीरों में तो रह नहीं सकती। कभी आत्माएँ पशु, पक्षियों की योनियों में से मर करके अर्थात् शरीर छोड़ करके मनुष्य शरीर में आ जाती है तो मनुष्यों की संख्या बढ़ जाती है। और मनुष्य वाली आत्मा मनुष्य शरीर छोड़ करके पशु-पक्षी, कीड़े-मकोड़े में चली जाती है तो इधर मनुष्य घट जाते हैं और उधर पशु-पक्षी, बैक्टीरिया आदि बढ़ जाते हैं। पूरा हिसाब रखना हमारे बस की बात नहीं है। केवल ईश्वर जानता है।
स मोक्ष मिल जाएगा तो आत्मा मोक्ष में चली जाएगी। आत्मा मरेगी फिर भी नहीं। मोक्ष में उसकी सत्ता (अस्तित्व) बनी रहेगी और जब मोक्ष का समय पूरा हो जाएगा, फिर आत्मा लौट के वापस संसार में जन्म लेगी।
स आत्माएं हमारी गिनती से तो अनंत हैं। हम पूरा नहीं गिन पाएंगे लेकिन वास्तव में आत्मा की संख्या निश्चित है। कोई न कोई एक
फिगर निश्चित है। अल्पज्ञ होने के कारण उसे हम नहीं जान सकते।
स ईश्वर सर्वज्ञ है और वह आत्मा की संख्या जानता है, और ईश्वर सबका हिसाब रखता है।

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