आत्मायें उतनी ही हैं, न कम होती हैं, न बढ़ती हैं। कम तो तब होंगी, जब मर जावें। जब मर जायेंगी, तो कम हो जायेंगी। और आत्मा बढ़ेंगी तब, जब नई पैदा होंगी। नई पैदा हो आत्मायें, तो बढ़ जायेंगी। क्या आत्मा पैदा होती हैं, और क्या आत्मायें मरती हैं? आत्मा न मरती हैं, न जन्म लेती हैं। वे उतनी की उतनी ही रहेंगी। इसलिये आत्मायें उतनी ही हैं। अनादिकाल से जितनी थीं, उतनी ही आज हैं। अनन्त काल तक आगे भी उतनी ही रहेंगी, न घटेंगी, न बढ़ेंगी।