एक व्यक्ति ने 20 हजार रुपए की चोरी की, दूसरे व्यक्ति ने दो अरब रुपये की चोरी की। वस्तुतः चोरी दोनों ने की, इसलिए दोनों अपराधी हैं। निःसंदेह दोनों को दण्ड मिलेगा।
स क्या दण्ड की मात्रा दोनों की समान रहेगी, या कम-अधिक? दण्ड की मात्रा कम-अधिक होगी। यदि दोनों को बराबर दण्ड दिया जाए, तो यह न्याय थोड़े ही होगा, यह तो अन्याय होगा।
एक ने अपराध थोड़ा किया, तो उसको थोड़ा दण्ड। एक ने अपेक्षाकृत अधिक अपराध किया, तो उसको अधिक दण्ड, यह न्याय है।
किसी ने 20 हजार पाप किए तो किसी ने 50 हजार। उन दोनों को ही 84 लाख योनियों में डाल दें, तो फिर यह न्याय कहाँ होगा? जिसने जितना अपराध किया, उतनी ही योनियों में जाएगा, दण्ड भोगेगा, धक्का खाएगा और लोटकर वापस मनुष्य बनेगा।
स जिसने थोड़ा अपराध किया, वह थोड़ी योनियों में धक्का खाएगा। जिसने ज्यादा अपराध किए, वो ज्यादा योनियों में जाएगा।
स बताते हैं कि चौरासी लाख योनियाँ हैं, पता नहीं कहाँ-कहाँ नम्बर लगेगा। कई लोग समझते हैं कि एक बार मनुष्य मर गया तो पूरे चौरासी लाख का चक्कर काटकर फिर नंबर आएगा इंसान रूप में। यह गलत है। क्यों गलत है? इसे जानते हैंः-
क्या सब लोग बराबर मात्रा में पाप करते हैं? नहीं न। तो सब को बराबर दंड क्यों मिलेगा? जब पाप कम-अधिक करते हैं, तो फल भी कम-अधिक होना चाहिए। अगर एक मरा वो भी चौरासी लाख योनियों में डाल दिया, दूसरा मरा, वो भी चौरासी लाख योनियों में, तो यह न्याय नहीं है। जिसने जितने कर्म किए हैं, उसको उतना दंड मिलेगा। जिसने बीस प्रतिशत पाप अधिक किए,उसको उतने कर्मों का दंड भोगने के लिए दस-बीच, पच्चीस-पचास योनियों में चक्कर काटना पड़ेगा। इसलिए सब को 84 लाख योनियों में नहीं जाना। वो कितनी योनियों में चक्कर काटेगा, वो भगवान जाने, हम नहीं जानते।