जी हाँ, वृक्षों में ज्ञान होता है। अब देखिये, एक चीकू का वृक्ष है और एक नीबू का वृक्ष है। मान लीजिये दोनों पास-पास हैं। तो चीकू का वृक्ष जमीन में से अपने अनुकूल भोजन खींचेगा और नीबू का वृक्ष जमीन में से अपने अनुकूल भोजन खींचेगा। उनमें अपने अनुकूल भोजन ग्रहण करने का ज्ञान है। यदि वृक्ष में ज्ञान ही नहीं है, कि मेरे अनुकूल कौन सा भोजन है, तो कैसे खींचेगा? इससे पता चलता है, कि उसमें ज्ञान है, कि ‘पृथ्वी में से मुझे कौन से परमाणु खींचने हैं, कौन से मेरे अनुकूल हैं।’ चीकू का पौधा, नींबू का पौधा, मिर्ची का पौधा, सबको पता है, कि मुझे कौन से परमाणु खींचने हैं। जैसे गाय और घोड़े को पता है, कि मुझे क्या खाना है और क्या नहीं खाना। गाय के आगे घास रख दीजिये, खा लेगी। और माँस रख दीजिये, नहीं खायेगी। कुत्ते के सामने आप माँस रख दीजिये, खा लेगा और रोटी रख दीजिये, खा लेगा और घास का गठ्ठर रख दीजिये, नहीं खायेगा। कुत्ता कभी-कभी घास खाता है। उसका पेट खराब हो, तो वो कभी-कभी उल्टी करने के लिये खाता है, भोजन के तौर पर नहीं खाता। वृक्ष को भी पता है, मुझे क्या खाना है और क्या नहीं खाना है अर्थात् उसमें ज्ञान है।