इसका कोई शास्त्रीय प्रमाण तो मेरी जानकारी में नहीं है। मैंने सब शास्त्र नहीं पढ़े। कहीं शास्त्रों में लिखा हो भी सकता है। परम्परा से तो यही सुनते आ रहे हैं। लेकिन पक्का नहीं कह सकते कि – 84 लाख हैं, या 80 लाख हैं। जितनी भी हों, फिर भी ‘लाखों योनियाँ हैं’, ऐसा मानने में तो कोई दोष प्रतीत नहीं होता।