क्या योगी व्यक्ति भविष्य की बातों का ज्ञान कर सकता है?

उत्तर हैः-
स कई चमत्कारिक घटनाएं महापुरुषों के साथ भावुक अनुयायी लोग अपनी ओर से जोड द़ेते हैं।
स महर्षि दयानंद जी योगी थे। अगर उनको वास्तव में भविष्य की बातों का पता लग जाता होता, तो उन्हें यह क्यों नहीं पता चला कि ”कल जगन्नााथ मुझे जहर देगा? ”कितनी बार लोगों ने उनको जहर दिया, कितने प्रकार से दिया। यह सब उनको पता क्यों नहीं चला ? इस तरह की अन्तः प्रेरणा (इन्ट्यूशन) नहीं हो सकती।
स यह केवल तुक्का है। सौ बार व्यक्ति अंदेशा लगाता है, दो बार सही निकलता है। यह है – लॉ ऑफ प्रोबेबिलिटी, देयर इज नो इन्ट्यूशन।
आजकल टी.वी. चैनलों पर, अखबारों आदि में जो भी भविष्यफल बताया जाता है, उसके पीछे भी यही संभावना का नियम ही काम करता है।
स यदि कोई व्यक्ति दावा करता है कि वह वास्तव में भविष्य की घटनाओं को जानता है तो उसकी बातें पूर्ण सत्य सि( होनी चाहिए। जैसे- गणित के अध्यापक गणित के प्रश्नों का पूर्ण सत्य उत्तर देने का दावा करते हैं, और उनके उत्तर पूर्ण सत्य ही होते हैं। परन्तु भविष्यवाणी करने वाले क्या अपना भविष्य भी ठीक प्रकार से जानते हैं? यदि नहीं जानते, तो दूसरों का भविष्य क्या जान पाएँगे? और क्या बता पाएँगे? एक इंजीनियर अपने लिए तथा दूसरों के लिए भी मकान बनाता है। उसकी विद्या सत्य है। भविष्यवक्ता न अपना भविष्य जानता है, न दूसरों का। इसलिए यह भविष्यवाणी झूठी है।
स व्यावहारिक रूप से ऐसे भविष्य की बातों की कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता। व्यक्ति कर्म करने में स्वतंत्र है – यह सि(ांत है। अगर व्यक्ति स्वतंत्र है, तो वह कुछ भी कर सकता है। अगर व्यक्ति स्वतंत्र है, तो वह सुधर भी सकता है, बिगड़ भी सकता है।
स यदि भविष्यवाणी सत्य हो, तो इसका अर्थ होगा कि सब कुछ पहले से निश्चित है। तब व्यक्ति कर्म करने में परतन्त्र हो जाएगा। यदि व्यक्ति कर्म करने में परतन्त्र है, तो उसे दण्ड नहीं दिया जा सकता। क्योंकि परतन्त्र को दण्ड देना, अन्याय है।
किसी व्यक्ति ने अपनी बन्दूक से चार व्यक्तियों को मार दिया। अब दण्ड, मारने वाले व्यक्ति को मिलेगा, या बन्दूक को? मारने वाले व्यक्ति को मिलेगा। चारों व्यक्ति गोली से मरे, गोली छूटी बन्दूक से तो बन्दूक को दण्ड मिलना चाहिए। परन्तु बन्दूक को दण्ड नहीं दिया जाता। क्योंकि बन्दूक परतन्त्र है। बन्दूक स्वतन्त्र नहीं है। बन्दूक चलाने वाला व्यक्ति स्वतंत्र है। इसलिए बन्दूक चलाने वाले को दण्ड दिया जाता है। यही न्याय है। इसी प्रकार से प्रत्येक व्यक्ति अपने स्वतन्त्रता से किए गए कर्मों का फल (सुख-दुःख) भोगता है।
स गणित वाला ज्योतिष ठीक है, पर भविष्यफल (प्रिडिक्सन) गलत है। एक अंतिम बात कह देता हूँ, आप समझ जायेंगे। व्यक्ति कर्म करने में स्वतंत्र है। स्वतंत्र किसको कहते हैं, जो अपनी इच्छा से काम करे या दूसरे के दबाव से काम करे? जो अपनी इच्छा से काम करे, वह स्वतंत्र है। तो आपका भविष्य पहले से कोई कैसे लिख देगा? अगर पहले से लिखा है, और वही होना है, तो आप परतंत्र हो गए।
स सच तो यह है कि आप जब चाहे, अपनी योजना बदल सकते हैं, जब चाहे बना सकते हैं। हमारी मर्जी है। हम कर्म करने में स्वतंत्र हैं। अपने भविष्य के निर्माता हम स्वयं हैं। एक-एक मिनट में हम अपना भविष्य बनाते हैं। आप भाषा में बिगाड़ कर दीजिए, देखिए आपका भविष्य तुरंत बिगड़ जाएगा। आपकी क्रिया ठीक-ठीक चल रही है, आपका भविष्य अच्छा है। आप गलत क्रिया शुरु करो, देखो आपका भविष्य तुरंत बिगड़ जाएगा। इस प्रकार अपना भविष्य बनाना-बिगाड़ना हमारे हाथ में है। एक-दो मिनट में हम अपना भविष्य बना सकते हैं या बिगाड़ सकते हैं। इन कागज के पोथी-पत्रों में कुछ नहीं लिखा।
स जब तक हम स्वतंत्र हैं, वह ज्योतिषी हमारा भविष्य कैसे जान लेगा? हमने कोई काम अब तक सोचा ही नहीं, योजना ही नहीं बनाई, कोई निर्णय ही नहीं किया कि दो महीने बाद क्या करूँगा। जब मैंने ही नहीं सोचा, तो ज्योतिषी उसको कैसे जान लेगा? ईश्वर भी नहीं जानता, तो ज्योतिषी उसको क्या जानेगा? फिर भी वो बताता है, तो इसका अर्थ है कि वह तुक्का मारता है। उसकी जितनी बातें ठीक होती है, लॉ ऑफ प्रॉबेबिलिटि से ठीक होती है।
“प्रत्येक व्यक्ति कर्म करने में स्वतन्त्र है।” जब वह स्वतन्त्र है, तो पहले से कुछ लिखा या निश्चित नहीं है। जब पहले से कुछ भी निश्चित नहीं है, तो सि( हुआ कि – ”भविष्य कथन झूठा है।”

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