(मुसलमानों से फर्रुखाबाद में प्रश्नोत्तरसं० १९२५)
ला० मुन्नीलाल वैश्य ने वर्णन किया कि स्वामी जी संवत् १९२५ में
जब फर्रुखाबाद में ठहरे हुए थे तो एक दिन तीसरे पहर चार पांच मुसलमान
स्वामी जी के पास गये । मुसलमानों ने पूछा किट्टट्टमौहम्मद को खुदा ने
हमारे लिए भेजा है या नहीं ?’’
स्वामी जी ने हम से कहा किनियम होना चाहिए कि सत्य को सुनकर
मनुष्य विचार करे न कि घबराकर लड़ने को दौड़े । अब तो यह धार्मिक
बात करते हैं पर पीछे युद्ध होगा । मैंने उनसे कहा कि स्वामी जी कहते
हैं फिर लड़ोगे तो नहीं ? उन्होंने कहा कि हम ऐसा नहीं करेंगे, आप तो
बलवान् हैं । सारांश यह कि यह बात स्वामी जी ने तीन बार कही तब कहा
कि ट्टट्टमौहम्मद अच्छा मनुष्य नहीं था । तुम लोगों ने उसका अनुकरण किया
यह बुरा किया। जब चोटी कटवाई तो दाढ़ी रखने से क्या प्रयोजन ? उंची
बांग देते हो, यह क्या ईश्वर की उपासना है ?’’
खुतने के विषय में भी पूछा था परन्तु कोई उत्तर मुसलमान न दे सके।
अन्त में चले गये । (लेखराम पृष्ठ १२५)