क्या मन जड़ है, उसका आकार कितना है?

मन जड़ है। यह प्रकृति से बना है। प्रकृति’ सत्त्व, रज, तम के समूह का नाम है। सबसे छोटे तीन प्रकार के परमाणु (स्मॉलेस्ट पॉर्टिकल-तत्त्व( का नाम है- ‘प्रकृति’। उससे महत्त्त्व यानी’बु(ि’ बनी। बु(ि से हम निर्णय लेते हैं। महत से एक और ‘अन्तःकरण’ बना। जिसका नाम है- ‘अहंकार’। अहंकार से हम अपने अस्तित्त्व की अनुभूति करते हैं। इस अहंकार से फिर पाँच तन्मात्राएं और दोनों प्रकार की इन्द्रियाँ पहली बाह्य और दूसरी आंतरिक इन्द्रिय बनीं। पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ और पाँच कर्म इन्द्रियाँ बाह्य इन्द्रियाँ कहलाती हैं। और आन्तरिक इंद्रिय है- ‘मन’। यह मन प्रकृति से बना है। सांख्य दर्शन के सूत्र (1/615( और योग दर्शन के सूत्र (1/2( के व्यास भाष्य में इस बारे में बतलाया गया है।
स चित्त नामक पदार्थ यानि मन, सत्त्व, रज, तम नामक तीन गुणों से बना हुआ है। तीन गुणों के स्वभाव वाला होने से मन त्रिगुणात्मक है। मन जड़ है, यह इसका प्रमाण हैं।
स मन का आकार बहुत छोटा है। यह माइक्रोस्कोप से भी नहीं दिखता है। यह इतना छोटा है कि आप इलेक्ट्रो-माइक्रोस्कोप से देखेंगे, तो भी नहीं दिखने वाला।
स जब आत्मा शरीर छोड़कर के पुर्नजन्म में जायेगा, तो यह ‘मन’ उसके साथ चला जायेगा। अर्थात् पूरा सूक्ष्म शरीर आत्मा के साथ जाएगा। पाँच इन्द्रियाँ भी जायेंगी, पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ, पाँच कर्मेन्द्रियाँ, एक मन, एक बु(ि, एक अहंकार और पाँच तनमात्रायेंऋ ये अठारहण चीजें ‘आत्मा’ के साथ चली जायेंगी। इन अठारह चीजों का नाम है- ‘सूक्ष्म शरीर’। यह सूक्ष्म शरीर इस चेतन आत्मा के साथ हर बार पुर्नजन्म में चलता रहता है। जब तक मुक्ति न हो जाये तब तक यह पूरा सूक्ष्म शरीर आत्मा के साथ चलेगा।
स जब आत्मा स्थूल शरीर छोड़कर जाती है तो यह सूक्ष्म शरीर कहाँ चला गया, किसी को पता नहीं चलता। इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि यह कितना सूक्ष्म होगा। इसको आप लोहे के बॉक्स में बंद करो, काँच की पेटी में बंद करो, ये कहीं नहीं रुकने वाला, सब तोड़-फोड़ के निकल जायेगा। तोड़-फोड़ का मतलब यह नहीं कि काँच फट जायेगा। ऐसा कुछ नहीं होगा, वो चुप-चाप निकल जायेगा। ये इतना छोटा है कि उसमें से पार हो जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *