जाति तो निश्चित है, बीच में जाति नहीं बदलेगी। आयु और भोग अवश्य बदल सकते हैं।
स जन्म के समय कुछ आयु और भोग ईश्वर ने हमको दिये। ये पिछले जन्मों के कर्मों के आधार पर दिए। वो भी सीमित (लिमिटेड) हैं।
स एक बात और, इस जन्म के नए कर्मों से हम अपनी आयु को बढ़ा भी सकते हैं।
कल्पना कीजिए, परमात्मा ने हमारे शरीर में जन्म के समय इतनी शक्ति भर दी कि अगर सामान्य रूप से हम उसको खर्च करते रहें, तो हम अस्सी साल तक जी सकते हैं। यह अस्सी साल का जीवन हमारे पिछले कर्मों का फल, इतनी आयु है। अब हम इसको कैसे बढ़ाएंगे?
अखबार में विज्ञापन आते हैं। विज्ञापन के नीचे एक स्टार लगा के लिखा रहता है – ‘कंडीशन्स एप्लाइ’ (शर्ते लागू)। भगवान भी हमारे कर्मानुसार हमको जाति, आयु, भोग देता है। वह कहता है कि जाति तो पूरे जीवन भर नहीं बदलेगी। लेकिन भोग और आयु बदल सकते हैं। परन्तु “कंडीशन्स एप्लाइ।” वो कंडीशन्स हैः- ‘अगर आप भोग बढ़ाने वाले नए कर्म करोगे, तो भोग बढ़ जाएंगे।’ अगर नहीं करोगे, तो भोग नहीं बढ़ेगा। आयु बढ़ाने वाले कर्म करोगे, तो आयु बढ़ेगी। और वैसे कर्म नहीं करोगे, तो आयु नहीं बढ़ेगी। वो कंडीशन्स पर डिपेन्ड करता है। भोग बढ़ भी सकते हैं, घट भी सकते हैं।
स आयु कैसे घटती-बढ़ती है, जानिए। मान लो, मैंने पाँच सौ रुपए की घड़ी बाजार से खरीदी। कम्पनी वालों ने कहा कि – ”भाई, इस घड़ी की तीन साल की गारंटी है। लेकिन यह गारंटी हम इस शर्त पर देते हैं कि आप इस घड़ी को ठीक तरह से इस्तेमाल करेंगे। इसे संभालकर प्रयोग करेंगे।”
अब आप घड़ी रेल की पटरी पर रख देंगे या हथौड़ा लेकर उस पर ठोंक देंगे, तो गारंटी क्या होगी? फिर एक सेकेंड की भी गारंटी नहीं है। घड़ी को दुर्घटना से बचाओ, धूप में मत फेंको, पानी में मत फेंको, सड़क पर मत फेंको, संभाल कर प्रयोग करो, तो यह तीन साल तक चलेगी। लेकिन तीन साल पूरे होते ही इसमें विस्फोट होने वाला नहीं है। इसके टुकड़े-टुकड़े भी नहीं होंगे। अच्छे ढंग से चलाओ तो घड़ी चार साल भी चलेगी। और वेल मेन्टेन करो, तो पाँच साल भी चलेगी। शरीर भी इसी प्रकार का है, यह भी भगवान की दी हुई एक मशीन है।
भगवान कहता है कि – तुम्हारे शरीर में मैंने अस्सी साल तक जीने की शक्ति भर दी है। अस्सी साल की गारंटी है। परन्तु याद रखो- “कंडीशन्स एप्लाइ”। आप जहर पी लोगे, आप रेल या ट्रक के आगे खड़े हो जाओगे, नदी में गिर जाओगे, तो कोई गारंटी नहीं। संभल के चलेंगे, तो अस्सी साल जिएंगे। फिर इस जन्म के नये कर्म करो, जैसे- व्यायाम करो, खान-पान ठीक रखो, संयम से खाओ, सात्त्विक भोजन खाओ, समय पर खाओ, अपने शरीर की प्रकृति के अनुकूल खाओ, मात्रा से थोड़ा कम खाओ, अधिक मत खाओ, रात को जल्दी सोओ, सुबह जल्दी उठो, ब्रह्मचर्य का पालन करो, ईश्वर की उपासना करो, दिनचर्या का पालन करो, )तुचर्या का पालन करो। इससे आपकी आयु बीस साल बढ़ जाएगी, सौ साल जी लेंगे। ऐसे आयु बढ़ती है।
स इस जन्म के नए कर्मों से हम अपनी आयु को घटा भी सकते हैं। अगर शराब पियो, माँस-अंडे खाओ, उल्टे-सीधे काम करो, बुरे विचार करो, देर तक जागते रहो, देर तक सोते रहो, भ्रष्ट आचरण करो, अच्छे काम मत करो और बुरे काम करो तो आपकी आयु घट जाएगी। बीस साल कम हो जाएगी, अस्सी साल वाले का बीस साल पहले ही शांति-पाठ हो जाएगा। साठ साल में उसका जीवन पूरा हो जाएगा। यदि सामने वाला गोली मारे या कहीं ट्रेन-एक्सीडेंट की लपेट में आ गए, तो आयु तुरंत घट जाएगी। इस तरह से हमारी आयु घटती है और बढ़ती है।
स अब भोग की बात जानिए। जन्म से जिस माता-पिता के घर में जन्म मिला, उनके पास अच्छी सम्पत्ति थी। इसलिए हमको पूर्वजन्म के कर्मों से अच्छा भोग मिल गया। अच्छी सम्पत्ति मिल गई।
स भोग घटते कैसे हैं? आगे इस जन्म के नए कर्म जैसे – हमने पढ़ाई नहीं की, अपनी बु(ि नहीं बढ़ाई, विकास नहीं किया,धन-संपत्ति को नहीं संभाल सके, जुआ सट्टे में, शराब में, इधर- उधर दूसरे उल्टे-सीधे कामों में संपत्ति खो दी, कोई दूसरे लोग छीन-छान के ले गए, तो हमारे भोग घट गए।
स भोग बढ़ते कैसे हैं? जिस परिवार में हमको जन्म मिला। जो जन्म से पैतृक संपत्ति मिली। उससे हमने पढ़ाई-लिखाई की, बु(ि का विकास किया। खूब अच्छी तरह से मेहनत की और खूब धन कमा लिया। अच्छी-अच्छी सुविधाएं घर में इकट्ठी कर लीं। इस प्रकार से हमारे इस जन्म के नए कर्मों से हमारे भोग बढ़ गए।