क्या कोई हमारा भविष्यफल बता सकता है?

गणित में नियम हैः- संभावना का नियम (लॉ आफ प्रॉबेबिलिटि)। ये ज्योतिषी जितनी भी भविष्यवाणियां करते हैं, वो सारी लॉ ऑफ प्रॉबेबिलिटि पर आधारित है। लॉ ऑफ प्रॉबेबिलिटि आप भी जानते हैं, हम भी जानते हैं, फिर उसने नया क्या बता दिया?
एक विद्यार्थी परीक्षा में बैठा है। वो या तो पास होगा या फेल होगा। सौ विद्यार्थी परीक्षा में बैठे हैं। क्या परीक्षा में बैठे सारे के सारे विद्यार्थी फेल हो जाएंगे? कुछ तो पास होंगे, कुछ की तो पास होने की संभावना है। यह है ‘संभावना का नियम।’ वहाँ ‘संभावना का नियम’ काम करता है। यदि कोई व्यक्ति बीस संभावनाएँ व्यक्त करता है तो कोई तो सच निकलेगी। वहाँ यह नियम लागू होता है, न कि भविष्यवाणी।
स इस संभावना के नियम पर ये ज्योतिषी भविष्यफल बताते हैं। कथित वचनों में कुछ तो ठीक (सच सि() होना ही है। अगर सारे विद्यार्थी जाकर ज्योतिषी से पूछें कि – हम पास हो जाएंगे या फेल हो जायेंगे। संभावना के नियम के आधार पर, मान लीजिए ज्योतिषी उन सबको यह कह दे कि- तुम पास हो जाओगे या सारे के सारे फेल हो जाओगे, तो क्या, सौ में से सौ पास या फेल हो जाएंगे? नहीं होंगे न। कुछ तो पास होंगे, चालीस, पचास, साठ कुछ तो पास होंगे ही। जो पास हुए, वे संभावना के नियम से पास हुए।
स जो पास हुए, क्या ज्योतिषी के कहने पर पास हुए? वे अपनी मेहनत से पास हुए। सारे के सारे इतने फिसड्डी नहीं होते हैं कि फेल हो जाएँ? जो मेहनत करते हैं, वो पास होते हैं, जो नहीं करते वो फेल होते हैं।
स ज्योतिषियों को कुछ नहीं मालूम, इनके चक्कर में नहीं आना। लोगों में ऐसी भ्रांति फैल गई कि फलाने ज्योतिषी ने बताया था, इसलिए पास हो गए। अच्छा उसने सबको पास होने को बोला था, फिर बाकी चालीस जो फेल हो गए, उनका क्या ? उसका क्या जवाब है? उसका कोई जवाब नहीं। विद्यार्थी अपनी पढ़ाई-लिखाई करने या न करने से पास-फेल होते हैं। उस ज्योतिषी के कहने पर नहीं होते।
स अखबार में भविष्य भी नहीं पढ़ना चाहिए। इसको पढ़ने से नुकसान होता है। क्या नुकसान होता है? एक व्यक्ति ने अखबार पढ़ा। उसकी मेष राशि थी। अखबार में लिखा था कि ”मेष राशि वालों को शनिवार को दुर्घटना की संभावना।” वह अच्छा ड्राइवर था, बढ़िया ड्राइविंग करता था। पर उसने पढ़ लिया, तो सुबह से ही नर्वस हो जाएगा। और न होता हो एक्सीडेंट, फिर भी ठोंक देगा। क्योंकि पेपर में लिखा है कि आज तो दुर्घटना होनी ही है। अब न पढ़ता तो नहीं ठोंकता। पढ़ने के कारण बेचारा सुबह-सुबह घबरा गया। इसलिए अखबार में भविष्य नहीं पढ़ना चाहिए, सुनना भी नहीं चाहिए। बिल्कुल बेकार की बातें हैं, व्यर्थ की बातें हैं, हानिकारक हैं। ये सब भविष्यफल सुनने-पढ़ने वाले लोग और ज्योतिषी गलती करते हैं।
स प्रसंगवश एक बात और बता देता हूँं। ये ज्योतिष वाले भविष्यफल बताते हैं। मेष, वृष, तुला, वृश्चिक इत्यादि बारह राशियाँ होती हैं। भारत में कितनी जनसंख्या है? सौ करोड़ से ऊपर। इसमें से अस्सी-पचासी करोड़ आर्य (हिन्दुओं) में से जो इन राशियों को मानते हैं, उनकी संख्या सौ करोड़ में से अस्सी, पचासी करोड़ तो होगी। कुल राशियाँ हैं, बारह। एक राशि में करीब सात करोड़ व्यक्तियों के नाम आएंगे।
अब अखबार उठाइए और भविष्यफल देखिए। अखबार में लिखा है कि, ”मंगलवार को तुला राशि वालों को लाभ होगा।” इसलिए मंगलवार को भारत के सात करोड़ व्यक्तियों को लाभ होना चाहिए। लेकिन होता है क्या लाभ? नहीं होता। तो मतलब यह हुआ कि, ये झूठ बोलते हैं।
जब आप और खोज करेंगे, तो पता चलेगा कि, ‘मंगलवार को कई तुला राशि वालों का दिवाला पिटता है। लाभ की तो बात क्या? बताइए, आपका भविष्यफल कहाँ गया? जिनका दिवाला पिट गया, वो जाकर क्यों नहीं ज्योतिषियों की गर्दन पकड़ते कि- ”तुमने तो लिखा था अखबार में, कि लाभ होगा। तो यहाँ हमारा दिवाला क्यों पिटा?”
स ज्योतिषी उपाय की भी गारंटी नहीं लेते कि यह उपाय करो, आपको निश्चित लाभ होगा। । अगर वो उपाय की गारंटी भी लें, तो हम मान भी लें।
आपके स्कूटर में खराबी हो गई। आप मैकेनिक के पास जाइए। वह गारंटी लेता है कि – ”इतने पैसे लूँगा, ठीक करके दूँगा।” ऐसे ही, अगर ज्योतिषी गारंटी दे कि- ”हाँ, इतनी फीस लूँगा और यह मेरा उपाय सौ प्रतिशत कारगर होगा। नहीं हुआ, तो मुझ पर डबल फाइन करो।” कोई ज्योतिषी सामने आए, एक भी नहीं आता। सब के सब जनता को धोखा देते हैं। इसलिए इन लोगों से सावधान रहिए। इनके चक्कर में नहीं आना।

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