इसका उत्तर है- नहीं। ये भूत-प्रेत (घोस्ट( की मान्यता बिल्कुल गलत है।
स किसी जीवित शरीर में कोई आत्मा, भूत-प्रेत बनकर घुस जाये और उसको परेशान करे, ऐसा कभी नहीं हो सकता। किसी मृत शरीर में कोई आत्मा घुस जाए और वो शरीर चल पड़े और सारे काम शुरू कर दे, ऐसा भी नहीं हो सकता।
स कभी-कभी मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्ति अस्वाभाविक क्रियाऐं करने लगते हैं। जो आत्मा के बारे में ठीक से नहीं जानते-समझते, वे मानते हैं, कि हममें कोई भूत-प्रेत घुस गया है। दरअसल, कोई भूत-प्रेत नहीं घुसता। यह केवल भ्रांति की बात है। इस भ्रांति से दूर रहिए। भ्
स भूत-प्रेत होता ही नहीं है। जो नहीं मानते, उनको कोई नहीं सताता। जो लोग मानते हैं, उनको यह सताता है। केवल मन का भूत है, मन की कल्पना है, भ्रम है, और कुछ नहीं। यह मानसिक रोग है, इसकी चिकित्सा कराओ।
स भूत लगना केवल मनोवैज्ञानिक-रोग की स्थिति है। जिसमें व्यक्ति रोग से ग्रस्त होकर विक्षिप्त-अवस्था में कुछ का कुछ बोलने लगता है।
स भूत-प्रेत उतारने वाले को ओझा कहते हैं। गुजरात में भुआ कहते हैं। ओझा या भुआ उस पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालते हैं और उसको कहते हैं, अब तुम ठीक हो गए और वो भी मान लेता है, कि हाँ मैं ठीक हो गया। उसका भूत-प्र्रेत सब निकल गया। भूत-प्र्रेत कुछ नहीं होता। इसलिये इसके चक्कर में नहीं आना।
स मैं पिछले बीस वर्षों से यह चैलेंज करता आ रहा हूँ। अगर कोई भूत-प्रेत उतारने या डालने वाला व्यक्ति यह दावा करता है, कि मैं भूत-प्र्रेत डाल सकता हूँ, निकाल सकता हूँ, तो मेरे शरीर में एक भूत-प्र्रेत डाल दो। मैं सामने से ऑफर करता हूँ। उसको मेरी तरफ से एक लाख रुपये ईनाम। और जो नुकसान होगा, वो मेरा। उसके ऊपर कोई आपत्ति नहीं। कोर्ट में चलेंगे, मजिस्ट्रेट साहब के सामने कॉन्ट्रेक्ट साईन करेंगे। दो गवाह उनके, दो गवाह हमारे। चाहो तो प्रयोग कर लो। अगर मेरे शरीर में भूत डाल दे, तो लाख रूपए ईनाम। और अगर नहीं डाल सका तो पांच लाख रुपये जुर्माना भरो। वन-वे ट्रेफिक नहीं चलेगा। बीस साल हो गए मुझे चैलेन्ज करते हुए। अब तक तो मेरे सामने कोई नहीं आया है, जो भूत-प्रेत डाल दे। इसलिए व्यर्थ की बात है, इसको छोड़ दीजिए।
स जैसे एक आत्मा शरीरधारी है। वो अपनी आत्मा दूसरे शरीर में प्रविष्ट करा दे, यह संभव नहीं। सवाल है कि एक शरीरधारी जीवात्मा दूसरे जीवित शरीर में अपनी आत्मा को डालेगा कि मृत शरीर में? मृत में डालेगा न, जीवित में तो नहीं डालेगा। चलो एक बात तो कैंसिल हुई कि वो जीवित शरीर में तो नहीं घुसेगा। अब मृत शरीर में डाले तो इसमें कौन सी समझदारी है? मृत शरीर तो पहले ही सड़-गल जायेगा। आप कहो कि सड़ा-गला नहीं है, अभी-अभी बिलकुल ताजा मरा है। बेचारे को ढूँढ़ना पड़ेगा ताकि कोई ताजा मरा हुआ शरीर मिले तो वह अपनी आत्मा को उसमें डाले। उसमें डालने से उसको लाभ क्या है? कोई लाभ नहीं है, और इतनी क्षमता भी नहीं है कि वह अपनी आत्मा मृत शरीर में से निकाल कर वापस अपने शरीर में डाल दे। अगर वो योगी अपनी आत्मा को निकालकर उस मृत शरीर में डालेगा, तो उसका अपना शरीर मर जायेगा। और एक बार निकल गया, तो वापस आने की कला उसको आती नहीं। यह परकाया प्रवेश आदि की बातें सब कहानियाँ हैं। इनमें विश्वास नहीं करना चाहिये। न इससे कोई लाभ है। ऐसी इतिहास में पता नहीं कितनी कहानियाँ आती हैं। भूत-प्रेत की कहानियों की कमी नहीं है। टेलीविजन में भी बहुत से हॉरर सीरियल भूत-प्रेतों के आते हैं। वो सब झूठ बात है। संसार में सच्चा-झूठा दोनों चलता है।
स मरने के बाद आत्मा इधर-उधर नहीं भटकती। मृत्यु के बाद जीवात्मा ईश्वर के नियंत्रण में चला आता है। अब उसके कर्मानुसार अगला जन्म कहाँ देना है, ईश्वर उसकी व्यवस्था करेगा। मान लीजिये एक व्यक्ति की भारत में मृत्यु हुई। अगला जन्म उसको देना है जापान में। तो भारत से लेकर जापान तक की यात्रा वह जीवात्मा स्वयं नहीं करेगा, बल्कि ईश्वर उसको लेकर जाएगा। मरने के बाद जीवात्मा को तो होश ही नहीं होता है। अगला जन्म कहाँ लेना है- उसके वश की बात थोड़े ही है। फल देने वाला न्यायाधीश ‘ईश्वर’ है। ईश्वर बताएगा कि उसको कहाँ जाना है। और वो खुद पहुँचाता है। ईश्वर यमदूत नहीं रखता, असिस्टेंट नहीं रखता। वो अपना काम खुद करता है, क्योंकि वह सर्वशक्तिमान है। ईश्वर उसको पहुँचाता है, जहाँ पहुँचाना है।
स एक शरीर की आत्मा दूसरे शरीर में नहीं जाती है। हाँ, अगर आत्मा ने एक बार शरीर छोड़ दिया तो फिर छोड़ दिया। आत्मा वापस उसमें नहीं जा सकती। उसको वापस जाने का तरीका नहीं मालूम। जो आत्मा शरीर छोड़ दे, उसको वापस दोबारा उस शरीर में डाल दे, ईश्वर ऐसा काम नहीं करता है। अगर एक आत्मा ने एक शरीर छोड़ दिया तो दूसरे जन्म में फिर उसका नया शरीर बनेगा, उस शरीर में ही जायेगी।