यह बात ठीक है, कि हमने जो कर्म किये हैं, उनके फल तो हमें भोगने ही पड़ेंगे। रही बात यह कि क्या मंत्र के जाप से अथवा यज्ञ करने से कष्ट दूर हो सकते हैं? उत्तर यह है कि- हम यज्ञ करेंगे, मंत्र का जाप करेंगे, तो भगवान हमको सहनशक्ति देगा। सहनशक्ति से कष्ट हमारे लिये हल्का हो जायेगा। कष्ट भोगना तो पड़ेगा, पर उतना भारी नहीं रहेगा। स्वामी दयानंद जी सत्यार्थ प्रकाश में लिखते हैं, कि- ईश्वर की उपासना से इतना बल प्राप्त होगा, कि पहाड़ जैसा दुःख भी राई जैसा प्रतीत होगा। जो दुःख आयेगा, वो तो भोगना पड़ेगा। लेकिन वह दुःख इतना भारी नहीं लगेगा, हल्का लगेगा। आराम से निपट जायेगा और आगे के लिये बु(ि अच्छी हो जायेगी। फिर हम और अधिक अच्छे-अच्छे काम करेंगे और आगे अपराध करेंगे नहीं, तो आने वाले कष्ट टल जायेंगे। क्योंकि आगे अपराध ही नहीं करेंगे, तो पाप का दंड क्यों मिलेगा? इसलिये मंत्र जाप करना चाहिये, यज्ञ करना चाहिये।