क्या किसी भी धर्म, पंथ या देवी-देवता का मजाक उड़ाकर हम अपने आपको श्रेष्ठ कहलवा सकते हैं?

मजाक बिल्कुल नहीं उड़ाना चाहिये। पर सत्य कहने में कोई आपत्ति नहीं। अगर कोई व्यक्ति गलती कर रहा है, तो उसकी गलती बताने में कोई आपत्ति नहीं है। उसकी गलती (दोष( बतायेंगे। अपनी अच्छाई बतायेंगे। लोगों को उस बुराई से बचायेंगे। लोगों को भटकने से बचाने के लिये, अगर हम किसी का दोष बताते हैं, तो कोई आपत्ति नहीं। और मजाक उड़ाने के लिये खण्डन करते हैं, तो वो गलत है, अपराध है। ऐसा नहीं करना चाहिये । ऐसा करने से हम श्रेष्ठ नहीं कहला सकते ।

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