गरीबों का शोषण करना, खून चूसना यह भी एक अपराध है। सेठ ने जो अपराध किया, उसका दंड सेठ को मिलेगा।
स किसी ने सेठ का धन लूट लिया, वह भी अपराध है। उसे लूटने का भी दंड मिलेगा।
वह सेठ खून चूसता है या जो भी करता है, इसका जिम्मेदार दूसरा व्यक्ति नहीं है। इसका जिम्मेदार वही व्यक्ति है, जो शोषण कर रहा है। आपको यह अधिकार नहीं है कि आप सेठ की संपत्ति को लूट (चोर( लें।
स यह राजा (सरकार( का काम है या परमात्मा का काम है, वो उसको दंड देगा। दूसरा व्यक्ति कानून हाथ में नहीं ले सकता।
स दूसरा व्यक्ति अगर गरीबों को दान देना चाहता है तो अपना धन कमाकर दान दे। उसे किसने रोका है? लूट करके दान देना उसका अधिकार नहीं है। अपना धन कमाओ और गरीब को दो, कौन रोकता है?
स दान देना ‘शुभ कर्म’ है, लूटमार करना ‘अशुभ कर्म’ है। दोनों कर्म अलग-अलग हैं। दोनों का अलग-अलग फल है। अब किसको अधिक दंड मिलेगा, यह तो भगवान जाने। पूरा-पूरा हमको नहीं मालूम।