कैसी लज्जा की बात है कि तुम लिंग की पूजा करते हो

(ठाकुर किशनसिंह से कायमगंज में प्रश्नोत्तरसंवत् १९२५)

पण्डित शामलाल कान्यकुब्ज कायमगंज ने वर्णन किया कि जब स्वामी

जी शिवालय में आनकर उतरे तो लोगों से पूछा कि यह क्या है? लोगों ने

कहा कि यह शिवालय है, कहा कि तुम लोग स्वयं ही कहते हो कि शिवालय

तो कैलास में है क्योंकि शिव वहां रहते हैं । इसलिए यह तो सराय बैठक

है । हम को भी स्मरण किया, हम ठाकुर किशनसिंह भूश्रित सहित वहां

गये । किशनसिंह ने पूछा कि तुम शिवलिग् पूजा का निषेध करते हो परन्तु

इसका तो शास्त्रों में लेख है ।

स्वामी जी ने कहा कि कैसी लज्जा की बात है कि तुम लिंग  की

पूजा करते हो और फिर जब लिग् पृथ्वी  होकर यहां आ गया तो शिव कैलास

में हीजड़ा रह गया । (लेखराम पृष्ठ ११८)