कृषि करने से लाभ भी होता है, बहुत सा पुण्य भी मिलता है। खाने को बहुत सा अन्न मिलता है, बहुत से प्राणियों की रक्षा होती है। कृषि करने से कुछ प्राणी मर भी जाते हैं, इससे हिंसा भी होती है।
स इस प्रकार कृषि से कुछ पुण्य होता है और कुछ पाप होता है। इसलिए कृषि को मिश्रित-कर्म कहा जाता है।
स अगर आप मिश्रित कर्म के फल से बचना चाहते हैं, तो खेती छोड़ दें। दूसरा खेती करेगा, जिसको करनी हो। हर व्यक्ति एक ही काम करे, यह आवश्यक नहीं है। अपनी रुचि के अनुसार वह अपना व्यवसाय चुन ले। जिसकी जैसी रुचि होगी, वह वैसा काम करेगा। योग्यता भी हो, और रुचि भी हो, तभी काम को करना चाहिए।