उन्होंने जितने काम अच्छे किए हैं, उतना तो उनको ईश्वर ईनाम देगा। और जो वेद के अनुकूल ईश्वर की उपासना नहीं की, उतना उनको दण्ड मिलेगा। वास्तव में ‘कर्म न करने’ का दण्ड नहीं होता। दण्ड होता है, ‘निषि( कर्म करने का।’
ईश्वर की उपासना’ विहित कर्म है। यह उन्होंने नहीं किया। इसलिए ईश्वर से जो आनंद मिलता है, वो इनको नहीं मिलेगा। और जो उन्होंने ‘संसार की उपासना’ की, यह निषि( कर्म है। यह उन्होंने किया। इसका दण्ड मिलेगा। और वह दण्ड होगा- अविद्या, राग, द्वेष आदि दोषों की वृ(ि, सकाम कर्म करना और बार-बार संसार में जन्म लेकर दुःखों को भोगना। यदि वे लोग वेद के अनुसार ईश्वर की उपासना भी करते, तो उन्हें पुरस्कार (मोक्ष) भी मिलता। अब मोक्ष नहीं मिलेगा।