एक विदेशी महिला भारत में रहते हुए अपने जीवन-काल में दूसरों की सेवा करती रहीं। उन्होंने शायद ईश्वर उपासना नहीं की। यम, नियम का पालन नहीं किया। तो क्या वे मोक्ष की अधिकारी थीं?

उत्तर है, नहीं। दरअसल, मोक्ष के लिए तीन काम अनिवार्य (कम्पलसरी) हैंः-
(1) पहला काम-वेद के अनुसार हमारा ज्ञान-विज्ञान हो। जो हमारे सि(ांत व मान्यताएं हैं, वे वेदानुकूल हों अर्थात् हमारा ज्ञान शु( होना चाहिए।
(2) मोक्ष प्राप्ति के लिए दूसरा काम-निष्काम कर्म होने चाहिए। उन्होंने इतना तो अच्छा किया कि गरीबों, रोगियों की सेवा की। परन्तु मनुष्य जाति की सेवा के पीछे उनकी भावना दूसरी थी। शु( भावना नहीं थी। सेवा के पीछे अपने धर्म-संप्रदाय का प्रचार करने, की भावना थी। इसलिए सांप्रदायिक उद्देश्य होने के कारण वे शु( (निष्काम) कर्म नहीं थे।
(3) तीसरा काम है-शु( उपासना। अर्थात् जैसा ईश्वर का स्वरूप वेदों में बताया है, वैसे ईश्वर की उपासना करना। अगर वह भी उनका नहीं होगा तो उन्हें मोक्ष नहीं मिलेगा।

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